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सटीक भविष्यवाणी
११२ गुरुदेव की छत्र-छाया में राजा और प्रजा निर्भय होकर जिएँ,....निश्चित होकर रहे,... इसमें आश्चर्य क्या?
कुमारपाल ने गुरुदेव को भावपूर्ण वंदना की।
आम्रभट्ट के भाई वाग्भट्ट भी हर्षविभोर होते हुए गुरुदेव के चरणों में लेट गये।
आचार्यदेव की कीर्ति में चार चाँद लग गये।
चौतरफ आचार्यदेव की आत्मशक्ति, जिनशासन भक्ति व अनुग्रह बुद्धि की भरपूर प्रशंसा हो रही थी।
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