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आकाशमार्ग से भरुच में
मंदिर के लिए नींव की खुदाई होने लगी। सैंकड़ों मजदूरों ने बहुत गहरे तक नींव के लिए खुदाई की... और एक परेशानी खड़ी हो गई।
भरुच की क्षेत्रदेवी नर्मदा कुपित हो उठी। अदृश्य रहते हुए तीखी जबान में वह बोली :
'इतनी गहराई तक खुदाई करके तुमने मेरा अपमान किया है... इसलिए मैं तुम सब को इसी खड्डे में गाड़ दूंगी।' ___ मजदूर लोग यह अदृश्य आवाज सुनकर भयभीत हो उठे। वे कुछ सोचेसमझे इससे पहले तो किसी अदृश्य शक्ति का धक्का सा लगा और वे सारे मजदूर खड्डे में नीचे फेंक दिये गये। __ पूरे भरुच शहर में इस दुर्घटना के समाचार फैल गये। चारों ओर हायतौबा मच गया। हजारों स्त्री-पुरुष दौड़कर आये... नींव के खड्डे में गड़े हुए मजदूरों को देखा... सभी सोचने लगे...
'कैसे इन्हें बाहर निकाला जाए?' इधर आम्रभट्ट और उनकी पत्नी भी तीव्र वेग से वहाँ आ पहुँचे। वहाँ पर शोकमग्न खड़े प्रमुख शिल्पी से सारी बात का जायजा लिया। उन्होंने गंभीरता से सोचा 'दैवी शक्ति का मुकाबला करना या लड़ाई मोल लेना अक्लमंदी नहीं होगी। नर्मदा देवी को प्रसन्न करके ही रास्ता निकालना होगा। किसी भी कीमत पर इन बेकसूर मजदूरों को बचाना होगा।'
जिस खड्डे में मजदूर गड़े हुए थे... उस खड्डे के किनारे पर खड़ा रहकर उन्होंने बुलंद स्वर में प्रतिज्ञा की : ___ जब तक मेरे बेगुनाह मजदूर इस खड्डे में से जिन्दे नहीं निकलेंगे तब तक मैं अन्न-जल का त्याग करता हूँ। मैं इसी जगह पर परमात्मा के ध्यान में स्थिर खड़ा रहूँगा। यहाँ से एक कदम भी उठाऊँगा नहीं! यह मेरी प्रतिज्ञा है।' ___ आम्रभट्ट की घोषणा सुनकर उनकी पत्नी ने भी उसी प्रकार का संकल्प किया और पति के समीप वे भी ध्यानस्थ होकर खड़ी हो गयी।
भरुच की प्रजा इन दोनों पति-पत्नी की अपार करुणा देखकर और कड़ी प्रतिज्ञा सुनकर हक्की-बक्की रह गई। लोगों की बड़ी भारी भीड़ वहाँ जमा होने लगी।
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