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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय मानव जीवन तरह-तरह की विशेषताओं का मेला है। सुख की खोज में खुद ही खो गये आदमी की आँखें नम हो जाती हैं... तो कभी कभार बेवजह हंसी-मुस्कान की फुलवारी खिल जाती है, उसके चेहरे के बगीचे में! तो कभी उदासी की बदली अस्तित्व को समेट लेती है, अपने साये में और फिर आँसुओं की बरसात थमने का नाम नहीं लेती! परेशानी, समस्या, प्रश्न, उलझन ये सब अब शब्दकोश में नहीं वरन् जिन्दगी के साथ जुड़े हुए शब्द हैं! जिन्दगी अकसर समस्याओं के सुलगते-झुलसते रेगिस्तान-सी हो जाती है... प्रश्नों और सवालों के शिकंजे में जकड़े हुए आदमी का जीवन दुभर और बोझिल बन जाता है, यदि उसके पास सही समझदारी और संतुलित व्यक्तित्व न हो तो! दुनिया की राह पर फूलों से ज्यादा कांटे बिखरे पडे हैं - फिर भी ताजुब तो इस बात का है कि आदमी के दिल को कांटों से भी ज्यादा फूल चुभते हैं! फूलों के घाव बड़े गहरे होते हैं...! वे जख्म जल्दी नहीं भरतें! संबंधों के फूल खिलाने की ख्वाहिश में कदम-कदम पर संघर्ष के शूल चुभते हैं... टूटन... पीड़ा और संत्रास का खून रिसता है! जिन्दगी की जलती रेगिस्तानी यात्रा में यह किताब सचमुच 'स्वीट' और 'सिन्सीयर' दोस्त का काम करेगी! संबंधों के जगत को वन न बनाते हुए उपवन बनाएँ... यही इस किताब का कहना है! _ हालाँकि जीवन है तो सवालों का सिलसिला चलता ही रहता है...। अगर सवाल नहीं होतें... समस्याएँ नहीं होती तो जिन्दगी इस कदर रंगबिरंगी और विविधता भरी नहीं होती! सवाल है तो सवाल का जवाब भी होगा ही! व्यक्तिगत-पारस्परिक और सामाजिक जीवन की राह पर यह पुस्तक जरुर मार्गदर्शक बनेगी। - भद्रबाहुविजय For Private And Personal Use Only
SR No.009633
Book TitleJindgi Imtihan Leti Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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