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जिंदगी इम्तिहान लेती है महर्षि के लिए उचित नहीं होता। मुझे उस भारतीय निष्काम महर्षि के प्रति पूर्ण विश्वास है कि उन्होंने प्रेम का स्वरूप जब बताया है, तो ऐसा संभवित हो सकता है। हाँ, सभी मनुष्यों के लिए संभव नहीं हो सकता। जो मूर्ख हैं, अज्ञानी हैं, विचार शून्य और विवेकहीन हैं, ऐसे मनुष्य प्रेम को समझ ही नहीं सकते, फिर प्रेम करना तो संभव ही कैसे हो सकता है उनके लिए?
प्रेम गुण-रहित होता है! कभी सुनी है ऐसी परिभाषा? प्रेम दोष-रहित होता है-ऐसा कहते तो हम तुरंत मन लेते, समझ लेते! इन्होंने कहा प्रेम गुणरहित होता है! नारद कहते हैं दूसरे जीवात्मा के गुण देखकर, गुण जानकर यदि आप उससे प्रीति करते हैं, प्रीति हो जाती है-तो वह प्रेम नहीं है! प्रेम का आधार व्यक्ति का गुण नहीं होना चाहिए। मैं कहूँ कि 'तेरे में अच्छे गुण हैं - तू विनयी है, तू सेवाभावी है, तू उदार है इसलिए मुझे तेरे प्रति प्रेम है।' तो मेरा यह प्रेम, प्रेम नहीं है, प्रेम का आभास ही है। चूंकि मेरे प्रेम का आधार तेरे गुण बने! तेरे ये गुण जब तक तुझ में होंगे तब तक ही मेरा प्रेम टिकेगा... ज्यों वे गुण चले गए, मेरा प्रेम भी चला जाएगा! अरे, तुझ में गुण हैं, चले नहीं गए हैं - परंतु मुझे वे गुण नहीं दिखते हैं, तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम नहीं टिकेगा! प्रेम टूट जाएगा! __जो टूट जाय वह प्रेम नहीं! प्रेम अखण्ड तत्त्व है। अविच्छिन्न तत्त्व है। हम बोलते हैं 'मेरा उनसे प्रेम टूट गया....' अरे भैया, वह प्रेम ही नहीं था, वह कुछ दूसरा ही तत्त्व था, जो अखण्ड नहीं था, अविच्छिन्न नहीं था। प्रेम का आधार गुण नहीं हो सकता, चूँकि संसारी प्राणी के गुण कायम नहीं टिकते। आज एक व्यक्ति में उदारता दिखती है - कल उसमें उदारता न भी हो! कृपणता आ सकती है। हमने प्रेम का आधार उदारता को बनाया तो वह प्रेम प्रेमाभास बन जाएगा, चूंकि उस व्यक्ति की उदारता जब चली जाएगी तब आपका माना हुआ प्रेम भी चला जाएगा!
कोई भी गुण हो, कैसा भी गुण हो, किसी का भी गुण हो- संसार में कोई गुण शाश्वत नहीं है। कोई गुण अविनाशी या अपरिवर्तनीय नहीं है। उदारता हो, गंभीरता हो, सत्यवादिता हो... दान-शील और तप हो- कोई भी गुण शाश्वत नहीं! उस व्यक्ति में गुण हमेशा रहेगा ही- ऐसा निश्चित नहीं हैं। क्षण भर मान लो कि उसमें से गुण चला नहीं गया है - गुण है उसमें, परन्तु हमारी दृष्टि बदल गई, देखने का मनोभाव बदल गया, तो हमें वह गुण नहीं दिखेगा। उसमें है गुण, फिर भी हमें नहीं दिखेगा!
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