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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिंदगी इम्तिहान लेती है १८६ ® आध्यात्मिक यात्रा में अन्य योग्यताओं के साथ-साथ एक जरूरी गुण है, सरलता! ® अहं केन्द्रित व्यक्तित्व सरल नहीं हो सकता! सरलता के अभाव में साहजिक जीवन जीया नहीं जा सकता! 8 जहाँ अपना कोई संबंध न हो... वहाँ पर अपनी सच्ची राय भी उपेक्षा का शिकार बनती है। • चित्त की चंचलता और मन की अस्थिरता के रहते धर्मतत्त्व की प्राप्ति या आत्मतत्त्व की अनुभूति असंभव है। • घर में रहना है तो मेहमान बनकर रहना सीखो! अपना कोई आग्रह नहीं... अपनी पसंदगीना पसंदगी की कोई जिद्द नहीं! तब जीने का मजा है! पत्र : ४४ प्रिय मुमुक्षु, धर्मलाभ, तेरा पत्र मिला, मेरा स्वास्थ्य अच्छा है, कच्छदेश में हमारा विहार सुखमय हो रहा है। यहाँ के लोकमानस का अध्ययन भी अच्छा हो रहा है। आध्यात्मिक विकास में अनिवार्य रूप से आवश्यक ‘सरलता' गुण मैंने यहाँ के लोगों में देखा। तेरा पत्र ध्यान से पढ़ा। मुझे लगता है कि तेरे पास फालतू समय बहुत ज्यादा है! उस समय का उपयोग तू जिस प्रकार कर रहा है, यही तेरी मानसिक अशांति का मूल स्रोत है। सारे दिन में कॉलेज के तीन घंटे के अलावा तू क्या करता है? परिवार के सभ्यों का अवलोकन और आलोचनप्रत्यालोचन! चूँकि तू अपने घर में अकेला ही बुद्धिमान है! कि तू एक-दो धर्मक्रिया करता है! तू समझ सकेगा क्या... कि तू गलत रास्ते पर चल रहा है? पहली बात तो यह है कि अभी तू जिस घर में रहता है, उस घर में तेरी जिम्मेदारी कितनी है? किस-किस की जिम्मेदारी तेरे सर पर है? किसी की भी जिम्मेदारी तेरे सर पर नहीं है न? तेरी जिम्मेदारी तेरे माता-पिता पर है! तेरे बड़े भाइयों For Private And Personal Use Only
SR No.009633
Book TitleJindgi Imtihan Leti Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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