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प्रवचन-९६
सेठानी चुपचाप वहाँ से खड़ी हो गई और मुँह लटकाये वहाँ से चली गई। कहिए, वह सेठानी कथा सुनने आयी थी?
सभा में से : नहीं जी, वह तो नथनी बताने आयी थी!
महाराजश्री : वैसे यहाँ पर कोई अपने सुन्दर वस्त्र बताने भी आते होंगे? कोई अपने मूल्यवान् अलंकार बताने भी आते होंगे? कोई अपनी 'हेयर स्टाइल' बताने आते होंगे? सभी लोग जो यहाँ आते हैं वे धर्मश्रवण करने ही आते हैं, ऐसा मत मानना। फिर भी आते हैं, वह अच्छा ही है। कभी कोई तुलसीदास जैसी हितशिक्षा देनेवाले मिल जायेंगे तब आँखें खुल जायेंगी। प्रतिदिन धर्मश्रवण करते रहने से कभी न कभी तो ज्ञानदृष्टि खुलेगी न? एकाग्रता से सुनते हैं तो उतना समय शुभ भावों में व्यतीत होता है। कोई न कोई शुभ कार्य करने की भावना जाग्रत होती है। ज्ञानानंद महान् है :
जैनधर्म, जैनदर्शन इतना गहन, गंभीर और व्यापक है कि संपूर्ण जीवन उसको जानने और समझने में खपा दें तो भी संपूर्ण नहीं जान सकते। फिर भी ज्यों-ज्यों तत्त्वबोध होता जायेगा त्यों-त्यों आप अपूर्व आनंद पाते जाओगे | ज्ञानानन्द, सभी प्रकार के आनन्दों से श्रेष्ठ आनंद होता है। वह ज्ञानानन्द पाओगे। हाँ, आप लोग भी ज्ञानानन्द पा सकते हो। जिनशासन में ऐसे कई श्रावक हो गये, श्राविकाएँ हो गईं, जिनके पास अच्छा शास्त्रज्ञान था, आत्मज्ञान था। वर्तमानकाल में भी ऐसे श्रावक-श्राविकाएँ दिखाई देते हैं।
जब ज्ञानानन्द बढ़ता है तब विषयानन्द घटता है। विषयानन्द को घटाने का सही उपाय भी यह ज्ञानानन्द है। इस बात पर मुझे एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक की घटना याद आती है। हालाँकि यह सम्यक ज्ञान की बात नहीं है, भौतिक विषय की बात है, फिर भी बात है ज्ञानानन्द की! एकाग्रता क्या चीज होती है? :
'थॉमस आल्वा एडिसन' नाम का वैज्ञानिक हो गया। विज्ञान की सौ से ज्यादा मूल्यवान् खोजें की हैं इस वैज्ञानिक ने। विज्ञान की दुनिया में एडिसन कभी विस्मृत नहीं हो सकता। एडिसन की शादी का प्रसंग था । अनेक स्नेहीस्वजन-मित्र... एडिसन से घर आये हुए थे। शादी के दिन सुबह से एडिसन लापता था! आसपास इधर-उधर खोजने पर भी एडिसन नहीं मिल रहा था।
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