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प्रवचन-९२
२०६ चिंतन किसका करोगे? :
० आत्मा क्या है? कैसी है? आदि है या अनादि है, ० आत्मा पर कर्म कैसे लगते हैं? कब से लगे? आत्मा और कर्म का संबंध
आदि है या अनादि है? कर्म कितने हैं? ० आत्मा के साथ कर्म कैसे बंधते हैं? ० बंधे हुए कर्म कब उदय में आते हैं? ० बंधे हुए कर्मों का संक्रम होता है या नहीं? ० बंधे हुए कर्मों को शीघ्र उदय में लाये जा सकते हैं या नहीं? ० कर्मों की निर्जरा कैसे की जा सकती है? ० कर्मबंध कितने प्रकार से होता है? ० मोक्ष क्या है? ० मोक्ष में आत्मा कैसी होती है? कितनी होती है? ० मोक्ष में गई हुई आत्मा वापस संसार में जन्म क्यों नहीं लेती? ० मुक्ति पाने में पुरुषार्थ प्रधान है या कर्म? विशेष ज्ञान पाने के लिए इस बातों पर चिंतन-मनन करते रहना चाहिए। तत्त्वज्ञान के ग्रंथों का अध्ययन, सुयोग्य विद्वान् पुरुष के पास करना चाहिए।
यदि आप अर्थ-काम के पुरुषार्थ में ज्यादा उलझे हुए होंगे तो अध्ययन नहीं कर पाओगे। आपका मन संसार की उपाधियों में ज्यादा उलझा हुआ होगा, तो आप अध्ययन नहीं कर पाओगे। अध्ययन करने के लिए मन मुक्त होना चाहिए उपाधियों से, चिन्ताओं से | गृहस्थ जीवन आपका शान्तिपूर्ण होगा तो ही आप अध्ययन कर सकोगे। अवसर मिले तो लाभ उठा लो :
दूसरी बात है अध्ययन करानेवालों की। आपके गाँव में, नगर में ऐसे विद्वान् शास्त्रज्ञ ज्ञानीपुरुष का संयोग होगा तो ही आप अध्ययन कर सकोगे।
एक और बात है शारीरिक आरोग्य की। आपका शरीर नीरोगी होगा तो ही आप अध्ययन कर सकोगे। रोगग्रस्त शरीर से अध्ययन नहीं हो पाता है। इसलिए जब तक शरीर नीरोगी है तब तक अध्ययन कर लेना चाहिए |
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