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प्रवचन-८३
'अनजान प्रदेश है और...' 'मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारे पास एक आयुध कम है।' 'नहीं आयुध तो गिन-गिन कर लिये हैं।' 'एक शस्त्र नहीं लिया है...मनोबल का। हिम्मत का-बहादुरी का शस्त्र नहीं लिया है...उसको भूल गये हो। _और इस शस्त्र के अभाव में शेष सभी शस्त्र किसी काम के नहीं रहते।'
यदि मनुष्य में हिम्मत होती है तो लकड़ी का एक टुकड़ा भी मशीनगन बन सकता है। मलमल का वस्त्र भी वज्र का कवच बन सकता है।
प्रसिद्ध नाट्यकार 'जेम्स बेरी' ने एक लेख लिखा था हिम्मत के विषय में | उसने लिखा है - 'कैसे भी संयोग में हिम्मत रखनी चाहिए। यदि नहीं है आपके पास तो दूसरे से माँग कर लाओ...चोरी करो...परन्तु हिम्मतवाले बनो। यदि यह गुण चला गया तो धीरे-धीरे सब कुछ चला जायेगा। इसलिए हिम्मत को सम्हाल कर रखो...और बढ़ाते रहो।'
कितनी अच्छी बात कही है जेम्स बेरी ने? हिम्मत कहो या सत्त्व कहो 'सर्वं सत्त्वे प्रतिष्ठितम्।' यदि आप में सत्त्व है तो सब कुछ है। सत्त्व नहीं है तो कुछ नहीं है। बुलंदी रखना सीखो : । प्रसिद्ध अंग्रेज लेखक डॉ. जहोन्सन के पास एक युवक गया। उसने कहामुझे साहित्यकार बनना है, मार्गदर्शन दें।।
जहोन्सन ने कहा : 'तो लिखना शुरू कर ।' 'बाद में क्या करूँ?' 'प्रिन्टिंग प्रेस में छपवाया कर।' 'परन्तु लोग मेरा मजाक उड़ायेंगे तो?' 'तो भैया, कुछ भी होने के विचार छोड़ दे। तुझ से कुछ होने का नहीं है।' 'परन्तु मुझमें अनेक शक्तियाँ हैं और अनेक गुण हैं...' 'तेरी बात सही है, लेकिन तुझमें हिम्मत कहाँ है? हिम्मत का गुण नहीं है तो दूसरे गुण भी टिकेंगे नहीं।'
यदि तीनों पुरुषार्थ में सफलता प्राप्त करना है, धर्म-अर्थ और काम में वृद्धि
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