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प्रवचन- ५६
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उन्होंने तो मात्र किसी का अनुकरण किया था ! अनुकरण में अक्ल की जरूरत नहीं पड़ती है! मैंने उनको बताया : 'यह फैशन नहीं है, परन्तु इंग्लैंड में जो लोग घुड़सवारी करते हैं, उनको ऐसा चुस्त पेन्ट पहनना सुविधाजनक रहता है, इसलिए वे लोग पहनते हैं । दूसरी बात, वह देश शीत है, गर्म नहीं है, इसलिए वहाँ चुस्त कपड़े सुविधाजनक होते हैं। अपने देश में चुस्त कपड़े कष्टदायी बनते हैं और कभी तो शर्मजनक भी बन जाते हैं ।
चुस्त कपड़े का कमाल :
एक लड़का अहमदाबाद में कॉलेज में पढ़ता था । था वह एक छोटे से गाँव में रहनेवाला एक किसान का लड़का । हॉस्टेल में रहता था और कॉलेज में पढ़ता था। एक साल में तो वह 'मोडर्न' आधुनिक वेश-भूषा वाला बन गया था। वेकेशन में जब वह अपने घर आने निकला, उसने चुस्त पेन्ट, चुस्त शर्ट.... वगैरह पहना था। स्टेशन पर उसको लेने के लिए गाँव के ८/१० भाईबहन आये थे, जो उसके रिश्तेदार थे, मित्र थे। यह लड़का जैसे ही गाड़ी से उतरा और पिता का चरण स्पर्श करने झुका....त्यों ही पीछे से पेन्ट फट गया! कैसी रही होगी? अच्छा था कि 'अन्डरवेयर' पहना हुआ था, अन्यथा...?
कपड़े पहनते समय इतना तो सोचना हि चाहिए कि 'ये कपड़े मेरे आरोग्य को तो हानि नहीं पहुँचायेंगे न? मेरे जीवन-व्यवहार में बाधक तो नहीं बनेंगे न?'
कपड़े....आरोग्य और 'फैशन' :
जिस लड़की को अपने घर में खड़े-खड़े रसोई नहीं बनाने की है, बैठकर बनानी है रसोई, यदि वह लड़की मिनी स्कर्ट पहनकर रसोईघर में जायेगी तो क्या होगा उसका ?
जिसके शरीर में एलर्जी का रोग है और वह यदि 'सिन्थेटिक' कपड़ा पहनेगा तो क्या होगा उसके शरीर में?
जिसके शरीर में ज्यादा गर्मी है और यदि वह चुस्त कपड़े पहनता है तो क्या होगा उसके शरीर का ?
वस्त्र-परिधान के विषय में अज्ञानता के कारण आज अनेक स्त्री-पुरुष गुप्त रोगों के शिकार बन गये हैं । शिकार बनने के बाद भी जब समझते नहीं हैं तब तो उनकी बुद्धिमत्ता की प्रशंसा ही करनी पड़ती है !
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