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प्रवचन-७२
२६५ कभी शरीर में रोग पैदा हो जाय तो शीघ्र ही उसका उपचार कर लेना चाहिए। व्याधि की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। उपेक्षित व्याधि जहर के बराबर है। इसलिए, जैसे ही रोग.... व्याधि का ख्याल आये, त्यों ही उपचार शुरू कर देना चाहिए | खान-पान में तुरन्त ही परिवर्तन कर देना चाहिए और योग्य औषधोपचार कर लेना चाहिए। २०वें सामान्य धर्म का विवेचन यहाँ समाप्त होता है। आज बस, इतना ही।
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