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प्रवचन-५९
१२३ कॉलेज में पढ़ी हुई लड़की के साथ कोई शादी करने को तैयार नहीं होगा और कॉलेज की डिग्रीवाले को कोई नौकरी में नहीं रखेगा! जीवन में चरित्रहीनता और व्यवहार में भ्रष्टाचार....इन दो बुराइयों में आज मनुष्य पूरा फँस गया है। इन बुराइयों से मनुष्य अशान्त, संतप्त और परेशान होता जा रहा है। धर्म से, गुरुजनों से और परमात्मा से वह दूर-दूर जा रहा है। कम से कम दिल में इतना तो कसकना ही चाहिए : ___ जब तक आप लोग निन्दनीय प्रवृत्तियों का त्याग नहीं करेंगे तब तक मोक्षमार्ग की आराधना करने का अधिकार प्राप्त नहीं होगा। अधिकार प्राप्त किये बिना आप कितनी भी धर्मक्रियाएँ करें, उससे आत्मविशुद्धि नहीं होगी। हाँ, आत्मविशुद्धि का, जीवनविशुद्धि का लक्ष्य बनाकर धर्माराधना करोगे, तब तो काम बन जायेगा! कम से कम, इतना तो हृदय में होना चाहिए कि 'मैं जो निन्दनीय कार्य करता हूँ, वे कार्य नहीं करने चाहिए, इन कार्यों से मैं पापकर्मों से बँधता हूँ, मेरी आत्मा मलिन होती है, मेरा मन दुर्बल बनता जाता है.... कब ऐसा आत्मबल जगे कि मैं इन बुराइयों को त्याग दूं।' ___ भूलना मत कि अपन मार्गानुसारिता की बातें कर रहे हैं। यानी गृहस्थजीवन के सामान्य धर्मों की बातें कर रहे हैं। और सामान्य धर्मों के पालन के बिना विशेष धर्मों का पालन हो नहीं सकता। शोभा नहीं देता, विशेष फल नहीं देता। इसलिए कहता हूँ कि इन सामान्य धर्मों के पालन के लिए मन को तत्पर करें! कुछ जीवन-परिवर्तन करें। जीवन-व्यवस्था में, जीवन-पद्धति में कुछ परिवर्तन करें इससे विशिष्ट धर्माराधना करने की योग्यता-पात्रता बन जायेगी।
मोक्षमार्ग की आराधना करने की पात्रता प्राप्त करके आत्म-कल्याण के मार्ग पर चलते रहें, यही मंगल कामना ।
आज बस, इतना ही।
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