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प्रवचन- ५९
१२२
तूने पैसे पाने का जो रास्ता लिया है वह रास्ता भयानक है । बरबादी का रास्ता है। तू क्यों गलत रास्ते पर भटक गई ? अपने घर की आर्थिक परिस्थिति के अनुसार ही जीवन जीना चाहिए। अपनी खानदानी का विचार करना चाहिए। ‘सेक्सी’' वृत्तियों पर संयम रखना होगा । ये वृत्तियाँ उत्तेजित हों वैसा रहन-सहन नहीं होना चाहिए ।
सच कहूँ तो, मैं तुझे कॉलेज में पढ़ाना ही नहीं चाहता था । परन्तु सामाजिक परिस्थिति से मजबूरन मुझे पढ़ाना पड़ता है। आवारा लड़कियों की संगति से तू भी वैसी मार्गभ्रष्ट लड़की बन गई .... । मेरे दुःख की सीमा नहीं है । फिर भी, मेरे और तेरे किस्मत अच्छे, कि यहाँ .... तू मेरे मित्र के पास चली आयी.... । मेरा दोस्त भी कितना अच्छा कि उसने तेरी जिंदगी बचा ली.... ।
अब तू मुझे कह दे कि तुझे कैसा जीवन जीना है ? सोच-विचार कर प्रत्युत्तर देना । तेरे भविष्य का विचार करना ।
बहन ने भाई से कहा: 'भैया, मुझ पर विश्वास करोगे न ? मैं अब कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जाऊँगी और तुम्हारा उपकार कभी नहीं भूलूँगी । मेरी एक बात मानना.... अब मैं कॉलेज नहीं जाऊँगी.... । यदि कॉलेज जाऊँगी तो वापस गलती कर दूँगी । मेरी सहेलियाँ अच्छी नहीं हैं। उनके संग में मैं बिगडूंगी ही....I मेरे जैसी तो अनेक लड़कियाँ मार्गभ्रष्ट बन गई हैं। हजारों लड़कियों ने अपना शील खो दिया है। 'बोय फ्रेन्ड' के बिना लड़कियों को चल ही नहीं सकता....। ऐसे वातावरण में अब मैं रहना नहीं चाहती। मैं ग्रेज्युएट नहीं बनूँगी.....यदि मुझसे कोई शादी नहीं करेगा तो मैं प्रसन्नता से कौमार्यव्रत का पालन करूँगी । '
बाद में उस लड़की ने कॉलेज छोड़ दी। उसका जीवन निर्मल बन गया। बुराइयों के कारण जीवन में बैचेनी :
सभा में से : कॉलेज में जाने वाले लड़के-लड़कियों में ऐसी निंदनीय प्रवृत्तियाँ ज्यादा ही चल रही हैं।
महाराजश्री : फिर भी आप लोग अपने लड़के-लड़कियों को कॉलेज में भेजते हो न? आप कहेंगे : 'यदि हम कॉलेज में नहीं भेजें तो लड़की की शादी करने में दिक्कत आती है और लड़के को सर्विस मिलने में दिक्कत आती है ।' यही बात है ना? परन्तु आप याद रखना कि एक समय ऐसा आयेगा कि
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