________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रवचन- ७
८७
ग्रन्थों की मान्यता को स्वीकार करना ही पड़ता है। धर्म के विषय में धर्मग्रन्थों को प्रामाणिक मानने ही पड़ेगा ।
धर्मक्षेत्रों में धर्मग्रन्थों को ही मान्य रखना होगा :
जैसे दूसरे क्षेत्रों में मनुष्य मनमानी नहीं कर सकता, वैसे धर्मक्षेत्र में भी मनमानी नहीं चल सकती । विज्ञान के क्षेत्र में सिद्धान्त के आधार पर ही प्रयोग किए जाते हैं। प्रयोगसिद्ध सिद्धान्त सर्वमान्य शास्त्र बन जाता है, प्रामाणिक ग्रन्थ बन जाता है। जिस प्रकार विश्व में पदार्थविज्ञान है, शरीरविज्ञान है, मनोविज्ञान है, उसके प्रामाणिक ग्रन्थ हैं और उन ग्रन्थों के आधार पर अध्ययन होता है, प्रयोग होते हैं, वैसे ही एक परोक्ष विज्ञान है : आत्मविज्ञान ! प्रत्यक्ष विज्ञान और परोक्ष विज्ञान दो प्रकार के विज्ञान होते हैं । प्रत्यक्ष विज्ञान के प्रतिपादक ग्रन्थों को हमलोग मान्य करने में हिचकिचाते नहीं हैं । परोक्ष आत्मविज्ञान के प्रतिपादक धर्मग्रन्थों को मान्य करने में क्यों हिचकिचाना?
जिन्होंने धर्म करने का उपदेश दिया है, उन्होंने ' धर्म किस प्रकार करना चाहिए' यह भी बताया होगा न? यह जाने बिना धर्म कैसे हो सकता है? वह जानने के लिए प्रामाणिक धर्मग्रन्थों का सहारा लेना ही पड़ेगा। प्रामाणिक धर्मग्रन्थों का सहारा लिए बिना आप धर्म का आचरण सही रूप से नहीं कर सकेंगे, करने जाओगे धर्म, हो जाएगा अधर्म ! देखादेखी या अन्ध- अनुकरण से धर्म करनेवालों के जीवन देखो! न कोई धर्मचेतना का आविर्भाव, न कोई ऊर्ध्वमुखी जीवन परिवर्तन है।
अन्धानुकरण : एक दृष्टांत :
एक गाँव में एक साधु मुनिराज पधारे। राजस्थान का पिछड़ा हुआ गाँव था। गाँव में कुछ जैन परिवार भी थे । साधु - मुनिराज को देखकर उनको बड़ा आनन्द हुआ। वे उपाश्रय गए, मुनिराज को वंदन किया, भिक्षा के लिए सब घर ले गए, अच्छी आवभगत की मुनिराज की । मुनिराज ने भी उन भक्तों को कहा : 'शाम को प्रतिक्रमण करने आना, मेरे साथ प्रतिक्रमण की धर्मक्रिया करना।' उन लोगों ने कहा : 'जैसे मैं करूँ वैसे ही तुम करना!' वे लोग सहमत हो गए। शाम को उपाश्रय में पहुँच गए। प्रतिक्रमण की क्रिया शुरू हुई। जैसे वे मुनिराज धर्मक्रिया करते हैं, उनको देख-देखकर वे लोग भी क्रिया करते हैं। मात्र क्रिया करते हैं समझते कुछ नहीं ! परन्तु उन लोगों को तो क्रिया करने में भी तकलीफ हो गई ।
For Private And Personal Use Only