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प्रवचन-३ मनोवैज्ञानिक डॉक्टर हैं, जिन्होंने अभी तक एक हजार तीन सौ बयासी मनुष्यों पर संशोधन किया है, कि जिनको पूर्व जन्म की स्मृति हो आई है! __ परा-मनोविज्ञान के क्षेत्र में 'एज-रीग्रेशन' का एक प्रयोग होता है। इस प्रयोग के माध्यम से उस स्त्री को पूछा गया कि अभी तुम कहाँ हो? उसने कहा : मैं 'एस्ट्रल वर्ल्ड' में हूँ| यहाँ मुझे भूख नहीं लगती है, नींद नहीं आती है और मैं थकान भी महसूस नहीं करती हूँ। __ उसको पूछा कि-वहाँ तुम अपना समय कैसे व्यतीत करती हो? उसने कहा : मैं यहाँ देखती ही रहती हूँ। मुझे बहुत आनन्द आता है। यहाँ समय ही नहीं है! नहीं है दिन, नहीं है रात!
तीसरा प्रश्न पूछा गया कि वहाँ से इस पृथ्वी पर 'ब्रिआन ए' (रथसीमोन्स की मित्र) के घर में क्या हो रहा है, क्या जानती हो? उसने कहा : यदि मेरा ध्यान उस तरफ चला जाय तो मैं जान सकती हूँ!
तुम देख भी सकती हो? हाँ, हमारी इच्छा हो तो! क्या इच्छा करने मात्र से देख सकती हो? हाँ, विचार करूँ और जान लूँ! देख लूँ। क्या तुम दूसरों के मन के विचार जान सकती हो? हाँ, दूसरों की इच्छाएँ और विचारों को भी जान सकती हूँ। 'वहाँ 'एस्ट्रल वर्ल्ड' में वृद्धावस्था, रोग, मृत्यु का अस्तित्व है?' नहीं, वहाँ वृद्धावस्था नहीं है, रोग नहीं है और मृत्यु भी नहीं है! वहाँ से अदृश्य होते ही दूसरे जीवन में परिवर्तन हो जाता है!'
'उस दुनिया में जब तुम थी उस समय इस दुनिया के मनुष्यों का भविष्य तुम देख सकती थी क्या?' ___ 'हाँ, मैं देख सकती थी, इतना ही नहीं उस दुनिया के जीव को मालूम हो जाता था कि उसको वहाँ से कहाँ जाना है!'
इस अमेरिकन महिला ने अपने पूर्व जन्म का जो वर्णन किया है, ठीक देवलोक का-स्वर्ग का ही वर्णन है। अपने धर्मग्रन्थों में देवलोक के देवों का जो वर्णन आता है, ऐसा ही आता है। इससे सिद्ध होता है कि स्वर्ग का अस्तित्व है। देवलोक है।
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