________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२३५
प्रवचन-१८ विस्तृत करना होगा | चौदह राज्यलोकव्यापी विचारक्षेत्र बनाना होगा । ऊर्ध्वलोक, अधोलोक और मध्यलोक में निरंतर परिभ्रमण कर रहे अनंत-अनंत जीवों का ज्ञानदृष्टि से, शास्त्रदृष्टि से विचार करना होगा। हाँ, शास्त्रदृष्टि तो चाहिए ही। शास्त्रदृष्टि के बिना कैसी कैसी गतियों में, किस किस प्रकार जीव जन्ममृत्यु करता है, आप नहीं जान सकते । संसार कितना दुःखपूर्ण है, यह खयाल शास्त्रदृष्टि से ही आ सकता है।
शास्त्रदृष्टि में आप संसार की वास्तविकता देखोगे। पापकर्म बांधकर मनुष्य कैसे नरकगति और तिर्यंचगति में चला जाता है और उन दुर्गतियों में कैसे-कैसे दारुण दुःख अनुभव करता है! आपके पास हृदय में उन जीवों के प्रति अपार करुणा बहने लगेगी। तीर्थंकर किसे कहते हैं :
विश्व की सर्वोत्तम आत्माओं के हृदय में संसार-अवलोकन से ही अपार करुणा जाग्रत होती है। 'मोह, अज्ञान के घोर अंधकार में बेचारे जीव कैसेकैसे कुकर्म करते हैं और दुर्गति में चले जाते हैं, कैसी घोर वेदना अनुभव करते हैं, मैं उन जीवों को ज्ञान का प्रकाश दूं, उनको दुःखों से बचा लूँ, परमसुख और परमशान्ति का मार्ग बता दूँ।' 'तीर्थंकरपद' पाने की योग्यता ऐसी करुणा में होती है। ऐसी करुणावाले जीव ही 'तीर्थंकरपद' पाते हैं। __'तीर्थंकर' किसे कहते हैं, जानते हो? तीर्थ का अर्थ है धर्मशासन । जो धर्मशासन की स्थापना करते हैं वे 'तीर्थंकर' कहलाते हैं। 'तीर्थं करोति इति तीर्थंकरः।' तीर्थंकर शब्द की यह व्युत्पत्ति है। जो तारे, वह तीर्थ! जिसके सहारे भवसागर तैरा जाय वह तीर्थ । तीर्यते अनेन इति तीर्थम्' भवसागर से यानी दुःखसागर से तारनेवाले जो होता है वह 'तीर्थ' कहलाते है, ऐसे तीर्थ की स्थापना करनेवाले तीर्थंकर कहलाते हैं। तीर्थंकर की यह श्रेष्ठ करुणा है...। सर्व जीवों को सर्व दुःखों से मुक्त करने की भावना! तीर्थंकर की करुणा के हम पात्र बनें : ___जो मनुष्य तीर्थंकर की करुणा का पात्र बन जाता है, उसके सर्व दुःख नष्ट हो जाते हैं। वह दुःखसागर तैर जाता है। बनना चाहिए तीर्थंकर की करुणा के पात्र! पात्र बनने के लिए हृदयपात्र शुद्ध करना होगा। शुद्ध हृदयपात्र में तीर्थंकर की दिव्य करुणा अवतरित होती है। हृदय का पात्र शुद्ध होता है मैत्री, करुणा आदि भावनाओं से। किसी जीव को अपना शत्रु नहीं मानना
For Private And Personal Use Only