________________
३०६]
[सविवरणं धर्मोपदेशमालाप्रकरणम् [१] पुहई-वसुभूईसुओ गणहारी जयइ इंदभूइ त्ति ।
बाणउईवासाऊ गोव्वरगामुब्भवो पढमो ॥३॥ [२] पुहवी-वसुभूइसुओ गणहारी जयइ अग्गिभूइ त्ति ।
चउहत्तरिवासाऊ गोव्वरगामुब्भवो बीओ ॥४॥ [३] पुहई-वसुभूइसुओ गणहारी जयइ वाउभूइ त्ति ।
इह सत्तरिवासाऊ गोव्वरगामुब्भवो तइओ ।।५।। [४] कोल्लागसन्निवेसे उप्पण्णो जयइ गणहरचउत्थो ।
धारिणि-धणमित्तसुओ असीइवरिसाउओ वु(विय)त्तो ॥६।। [५] भदिल-धम्मिलतणओ गणहारी जयइ पंचमसुहम्मो ।
कोल्लगसन्निवेसे उप्पण्णो वरिससयजीओ ॥७।। [६] धणदेव-विजयदेवाइ नंदणो जयइ मंडिओ छट्ठो ।
तेसीईवरिसाऊ मोरियदेसुब्भवो भयवं ॥८॥ [७] मोरीए विजयदेवाए नंदणो पंचनयवरिसाऊ।
मोरियनिवेसजाओ मोरियपुत्तो त्ति सत्तमओ ॥९॥ [८] देव-जयंतीण सुओ अकंपिओ नाम अट्ठमो जयइ ।
अट्ठत्तरिवरिसाऊ मिहिलाए समुब्भवो भगवं ॥१०।। [९] नंदा-वसूण तणओ गणहारी जयइ अयलग(भा )य त्ति ।
बावत्तरिवरिसाऊ कोसलदेसुब्भवो नवमो ॥११॥ [१०] तुंगिणिदेसुप्पण्णो मेयज्जो जयइ गणहरो दसमो ।
वारुणदेवीए सुओ दत्तस्स विसट्ठिवरिसाऊ ॥१२॥ [११] अइभद्दाए बलस्स य पुत्तो चालीसवरिसओ जाओ।
रायगिहे उप्पण्णो एक्कारसमो पभासु त्ति ॥१३।। इय दियवंसुप्पण्णा समत्थ(त्त)सत्थत्थपारगा सव्वे । चरमसरीरा मोक्खं विमलगुणगणहरा दिंतु ॥१४॥
15
१. क. वरिसाउओ, प. वरिसीउ उ । २. प. वन्न । ३. प. गुणहरा वितुं, ज. दिन्नं ।
D:\mala.pm5\2nd proof