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चामर-पूजा करते समय ध्यान रखने योग्य बातेंदोनों हाथों में एक-एक चामर रखकर चामर के साथ आधा झुककर' नमो जिणाणं ' कहना चाहिए ।
स्वद्रव्य का चामर बहुत छोटा न हो तथा उसके बाल गंदे नहीं होने चाहिए। बड़े चामर से विशेष भाव प्रगट होता है । अन्य आराधकों को असुविधा न हो, इस प्रकार उचित दूरी पर तथा उचित स्थान पर खड़े होकर चामर डुलाना चाहिए। चामर डुलाते समय दोनों पैरों को नचाते हुए तथा शरीर को थोड़ा झुकाते हुए प्रभुजी के सेवक बनने की लालसा के साथ ताल के अनुसार लयबद्ध होकर उचित रूप से नृत्य करना चाहिए । चामर - नृत्य के समय ढोल-नगारा - तबला- हारमोनियम- शंखबांसुरी आदि वाजंत्र भी बजाया जा सकता है ।
चामर नृत्य करते समय प्रभुजी के समक्ष नाग-मदारी का नृत्य करना उचित नहीं है ।
चामर- नृत्य करने में संकोच नहीं रखना चाहिए। दो चामर सुलभ न हो तो एक चामर तथा एक हाथ से नृत्य करना चाहिए। जब मंदिर में मात्र महिलाओं की ही उपस्थिति हो, उसी समय महिलाओं को रागविनाशक चामर नृत्य करना चाहिए। परन्तु पुरुषों की उपस्थिति में दोनों हाथों में अथवा एक हाथ में चामर लेकर दोनों पैरों को सीमित थिरकन के साथ सामान्य नृत्य करना चाहिए ।
चामर - नृत्य करते समय सुमधुर स्वर से बोलने योग्य स्तोत्र :
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