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विलेपन करने की विधि
अंगलुंछना हो जाने के बाद सुगन्धित धूप को प्रभुजी के समक्ष ले जाकर उन्हें सुगन्धित करना चाहिए। देशी कपूर तथा चंदन मिश्रित सुगन्धित विलेपनको सुयोग्य थाली में धूप देकर गर्भगृह में ले जाना चाहिए। आठ-पड-मुखकोश का सम्पूर्ण उपयोग करते हुए दाहिने हाथ की पाँचों
ऊँगलियों से, नाखून न प्रभुजी को सर्वांग पर विलेपन करें। लगे, इस प्रकार प्रभुजी के
सर्वांग में विलेपन करना चाहिए । (विलेपन करने से पहले दोनों हाथों को सम्पूर्ण स्वच्छ करना जरूरी है।) विलेपन पूजा में नव-अंग के साथ कोई सम्बन्ध नहीं होता है। समस्त अंगों का विलेपन करना होता है। विलेपन करनेवाले एक व्यक्ति के अतिरिक्त अन्य भाविकों को एक दूसरे के स्पर्श दोष से बचने के लिए थोड़ी सी प्रतीक्षा करनी चाहिए।
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