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पक्षाल पश्चात् जल से शुद्धीकरण करें।
इस तरह २७ डंके बजाये।
अंतर मे खडे हुए महानुभाव प्रक्षाल करनेवाले भाग्यशाली की अनुमोदना करते हुए बोले..... (सिर्फ पुरुषो नमोऽर्हत्.....'बोले) मेरु शिखर न्हवरावे, हो सुरपति! मेरु शिखर न्हवरावे... जन्मकाल जिनवरजी को जाणी,पंचरुपेकरी आवे...हो... रत्न प्रमुख अडजातिना कलशा,औषधि चूरण मिलावे... हो.. खीर-समुद्र तीर्थोदक आणी,स्नात्र करी गुण गावे... हो...
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