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हादय
सकल संघ हितचिंतक, सुविशाल-गच्छाधिपति, पूज्यपाद आचार्य देवेश श्रीमद् विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी महाराजा और समता-समर्पण मूर्ति, सुविशाल गच्छआधिनेता, पूज्यपाद आचार्य देवेश श्रीमद् विजय महोदय सूरीश्वरजी महाराजा की अमाप दिव्यकृपा दृष्टि से तथा परम श्रद्धेय, सुविशाल-गच्छनायक, पूज्यपाद आचार्य देवेश श्रीमद् विजय हेमभूषण सूरीश्वरजी महाराजा और परम कृपालु,सूरिमंत्र सन्निष्ठ समाराधक, पूज्यपाद आचार्य देवेश श्रीमद् विजय श्रेयांस-प्रभ सूरीश्वरजी महाराजा की निरंतर बरसती कृपादृष्टि से यह कार्य संपन्न हुआ है। उन्ही को यह समर्पण है।
यह साहित्य जैन शासन के सभी आराधको भवनिर्वेद जगाकरसंसारसागरपारउतरने का सामर्थ्य प्राप्त करे, ऐसी शुभेच्छा केकेसाथ.....
वि.सं. २०६३, निज. ज्येष्ठ सुद-३ मुंबई
सूरि रामचंद का शिष्यरत्न
मुनि रम्यदर्शनविजय
(VII)