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योग्य नहीं हैं। मंदिर में पूजन, पूजा-मंडल अथवा संध्याभक्ति आदि कार्यक्रमों में उपदेशप्रद गीत (जैसे- एक पंखी आवीने उडी गयु. मा-बापनो उपकार.. शोकगीत..) कभी नहीं गाने चाहिए।
•जय वीयराय सूत्र (मुक्ताशुक्ति मुद्रा में). जय वीयराय ! जग-गुरु ! होउ ममं तुह पभावओ, भयवं भवनिव्वेओ मग्गाणुसारिया इट्ठफलसिद्धि ॥ १ ॥ लोग विरुद्धच्चाओ, गुरुजणपूआ परत्थकरणं च, सुहगुरुजोगो तव्वयण सेवणा आभवमखंडा ॥२॥
(अब यह शेष योग मुद्रा में) वारिज्जइ जइ वि, नियाण बंधणं वीयराय ! तुह समए, तह वि मम हुज्ज सेवा, भवे भवे तुम्ह चलणाणं ॥ ३ ॥ दुक्खक्खओ कम्मक्खओ समाहिमरणं च बोहिलाभो अ, संपज्जउ मह एअं, तुह नाह ! पणाम करणेणं ॥ ४ ॥ सर्व मंगल मांगल्यं, सर्व कल्याण कारणम् । प्रधानं सर्व धर्माणां,जैनं जयति शासनम्॥५॥
(अब खडे होकर योगमुद्रा में अरिहंत-चेइयाणं सूत्र) अरिहंत-चेइआणं करेमि काउस्सग्गं ॥१॥ वंदण-वत्तियाए, पुअण-वत्तियाए, सक्कार-वत्तियाए, सम्माण-वत्तियाए, बोहिलाभ-वत्तियाए, निरुवसग्ग-वत्तियाए ॥ २ ॥ सद्धाए,
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