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चैत्यवंदन विधि एक खमासमण सत्तर संडासा पूर्वक देना चाहिए।
•खमासमण सूत्र. इच्छामि खमासमणो !॥१॥ वंदिउं जावणिज्जाए निसिहिआए ॥२॥
मत्थएण वंदामि ॥३॥
• खमासमण देने की विधि. • 'इच्छामि खमासमणो वंदिउँ' बोलते हुए आधे अंग को
झुकाना चाहिए। • फिर सीधे होकर जावणिज्जाए निसीहिआए'बोलकर दोनों पैर
तथा घुटने रखने की भूमि को प्रमार्जन कर नीचे झुककर बैठना चाहिए तथा उसके बाद दोनों हाथों का प्रमार्जन तथा मस्तक रखने की जगह का
प्रमार्जन करना चाहिए। इस तरह पंचांग-प्रणिपात दे।
• उसके बाद दो पैर, दो हाथ तथा मस्तक रूप पंचांग को सुयोग्य रीति से जमीन पर स्थापित
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