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________________ श्री सीमंधर स्वामी का जीवन चरित्र हमारे भारत वर्ष के इशान कोने में करोड़ो किलोमीटर की दूरी पर जंबुद्वीप के महाविदेह क्षेत्र की शुरुआत होती है। उसमें ३२ विजय (क्षेत्र) है। इन विजयों में आठवीं विजय 'पुष्पकलावती' है। उसकी राजधानी श्री पुंडरिकगिरी है। इस नगरी में, गत चौबीसी के सत्रहवें तीर्थंकर श्री कुन्थुनाथ भगवान के शासनकाल और अठारहवें तीर्थंकर श्री अरहनाथजी के जन्म पूर्व के समयमें श्री सीमंधर स्वामी भगवान का जन्म हुआ था। उनके पिता श्री श्रेयांस पुंडरिकगिरीनगरी के राजा थे। भगवान की माता का नाम सात्यकी था। केवलदर्शनी बने। उनके दर्शन मात्र से ही जीव मोक्षमार्गी होने लगे। श्री सीमंधर स्वामी प्रभु के कल्याणयज्ञ के निमित्तों में चोर्यासी गणधर, दस लाख केवलज्ञानी महाराजा, सौ करोड़ साधु, सौ करोड़ साध्वीयाँ, नौ सौ करोड़ श्रावक और नौ सौ करोड़ श्राविका है। उनके शासन रक्षक है यक्षदेव श्री चांद्रायणदेव और यक्षिणीदेवी श्री पांचांगुली देवी। आनेवाली चौबीसी के आठवें तीर्थंकर श्री उदयस्वामी के निर्वाणके पश्चात् और नौवें तीर्थंकर श्री पेढाळस्वामी के जन्म पूर्व श्री सीमंधर स्वामी और अन्य उन्नीस विहरमान तीर्थंकर भगवंत श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया के अलौकिक दिन को चोर्यासी लाख पूर्व की आयु पूर्ण कर के निर्वाणपद की प्राप्ति करेंगे। यथासमय महारानी सात्यकी ने अद्वितीय रूपलावण्यवाले, सर्वांग-सुंदर स्वर्णकांतिवाले और ऋषभ के लांछनवाले पुत्र को जन्म दिया। (वीर संवत की गणनानुसार चैत्र कृष्णपक्ष दसम की मध्यरात्रि के समय) बाल जिनेश्वर - जो मतिज्ञान, श्रुतज्ञान और अवधिज्ञान के साथ ही जन्मे थे। उनका देहमान पाँचसौ धनुष्य के बराबर था। राजकुमारी श्री रूकिमनी प्रभु की अर्धांगिनी बननेको परम सौभाग्यवती बनी थी। भरतक्षेत्र में बीसवें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी और इक्कीसवें तीर्थंकर श्री नेमीनाथजी के प्रागट्य काल के मध्यवर्ती समय में अयोध्या में राजा दशरथ के शासनकाल के दरमियान और रामचंद्रजी के जन्म पूर्व श्री सीमंधर स्वामी ने महाभिनिष्क्रमण उदययोग से फाल्गुन शुक्लपक्ष की तृतीया के दिन दीक्षा अंगीकार की। दीक्षा अंगीकार करते ही उन्हें चौथा मन:पर्यव ज्ञान प्राप्त हुआ। दोष कर्मों की निर्जरा होने पर हजार वर्ष के छद्मस्थकाल के बाद शेष चार घाती कर्मों का क्षय कर के चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी के दिन भगवान केवलज्ञानी और
SR No.009607
Book TitleVartaman Tirthankar Shri Simandhar Swami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2001
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size314 KB
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