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वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी
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प्रश्नकर्ता : ‘दादा भगवान के असीम जय जयकार हो', जो बुलाते है उसी प्रकार 'सीमंधर स्वामी के असीम जय जयकार हो' बुला सकते है।
दादाश्री : खुशी से बुला सकते हो। लेकिन 'दादा भगवान के जय जयकार' बोलते समय जो आनंद भीतर होता है, वैसा आनंद उसमें नहीं होगा। क्योंकि यह प्रत्यक्ष है। वह प्रत्यक्ष आप देख नहीं सकते। बुला सकते है सही। सीमंधर स्वामी के लिए जो चाहो बोल सकते हो। क्योंकि हमारे शिरोमान्य भगवान है और रहेंगे। जहाँ तक हम मुक्त नहीं होंगे, वहाँ तक रहेंगे। यह तो हमने अँगुलिनिर्देश किया है कि जो आया वो बोलेगें, उसका कल्याण होगा।
प्रश्नकर्ता: हाँ, अँगुलिनिर्देश है। सब ठीक है।
दादाश्री : यह सब अँगुलिनिर्देश है। किसी ने अँगुलिनिर्देश नहीं किया, क्या करना वह! बातें सभी की होगी मगर अँगुलिनिर्देश नहीं किया कि ऐसा कीजिए।
प्रश्नकर्ता : यह तो मैं ने उस दिन बुलाया था न, तब एक भाई ने कहा कि ऐसा नहीं बुलवा सकते। निश्चय से नहीं बुलवा सकते। इसलिए मैं पूछा ।
दादाश्री : नहीं, वह बोले हो तो हर्ज नहीं। इससे कुछ पाप लगे ऐसा नहीं। लेकिन यह ज्ञानी पुरुष के कहने के अनुसार बोले, उसमें बहुत फर्क पड़ जाये। बोले हो, उसका जोखिम नहीं। प्रतिक्रमण नहीं करना पडे। सीमंधर स्वामी का केवल नाम देंगे, तो भी उसको फायदा हो जायेगा।
प्यॉरिटी वहाँ तैयारी !
हमारा ध्येय क्या है? मैं तो घर के कपड़े पहनता हूँ। यह नीरबहन भी घर के कपडे पहनती है। एक पाई किसी की लेने की नहीं और जगत कल्याण के लिए सभी तैयारी है। करीब पचास हजार समकितधारी मेरे
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वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी पास है और उनमें दोसौ ब्रह्मचारी है। वे सभी जगत कल्याण के लिए तैयार हो जायेंगे।
आज्ञा बनायें, महाविदेह के लायक !
यह ज्ञान लेने के बाद यह अवतार ही महाविदेह के लिए आपका आकार ले रहा है। मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं। नेचरल (प्राकृतिक ) नियम ही है।
प्रश्नकर्ता: महाविदेह क्षेत्र में किस तरह जा सके ? पुण्य से ?
दादाश्री : यह हमारी आज्ञा का पालन करें, उससे इस अवतार में पुण्य बंध ही रहा है, वह महाविदेह क्षेत्र में ले जाता है। आज्ञा पालन से धर्मध्यान होता हैं, वह सब फल देंगा। पुण्य बँधता है, हमारी आज्ञा पालते है उसके प्रमाण से । वह फिर वहाँ पर तीर्थंकर के पास भुगतना पडेगा।
प्रश्नकर्ता: सीमंधर स्वामी हम महात्माओ का कचरे जेसा व्यवहार है, वह देख के हमें वहाँ अंदर आने देंगे सही ?
दादाश्री : उस घड़ी ऐसे आचार नहीं रहेंगे। अभी आप जो मेरी आज्ञा का पालन करते हो, उसका फल उस वक्त सामने आयेगा। और अभी जो कचरा माल है वह मुझे पूछे बगैर भरा था, वह निकलता है।
प्रश्नकर्ता: दादाजी, सीमंधर स्वामी को याद करने से, सीमंधर स्वामी के पास जा सकें ऐसा निश्चित हो सके सही ?
दादाश्री : जाना है वह तो निश्चित है ही। उसमें नवीन नहीं लेकिन लगातार याद रहने से दूसरा कुछ नवीन अंदर घुसेगा नहीं। दादाजी याद आये कि तीर्थंकर याद आये तो माया घुसे नहीं । अब यहाँ माया नहीं आयेगी।
जिम्मेवारी किसकी ली ?
हमारा सीमंधर स्वामी के साथ संबंध है। हमने सभी महात्माओं के