SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समर्पण दादा वाणी का क्या कहना अहा! फोड़ पाताल बहा झरना यहाँ! लाखों के दिल में जाकर समाई, पढ़े-सुने जो करे मोक्ष कमाई। पावर गज़ब का आत्यांतिक कल्याणी, संसार व्यवहार में भी हितकारिणी। निज बानी को वीतराग टेपरिकॉर्ड कहें, खुद के बोल से अहो! खुद जुदा रहे। कलिकाल में नहीं कभी सुनाई दी, बेशक़ीमती मगर बिन मालिकी की। त्रिमंत्र चार डिग्री है कम, पर बिना भूल की, तीर्थंकरी स्यादवाद की कमी पूर्ण की। सभी तीर्थंकरों ने माना जिसे प्रमाण, जगी ज्योत अक्रम हरे तम तत्काल। वादी-प्रतिवादी निर्विरोध स्वीकार लें, ज्ञानी वचन बल ज्ञानावरण विदार दें। घर-घर पहुँचकर जगाएगी आप्तवाणी पढ़ते ही बोले, मेरी ही बात, मेरे ही ज्ञानी। तमाम रहस्य यहाँ ही खुले वाणी के, समर्पित संसार को सिद्धांत वाणी के। जय सच्चिदानंद
SR No.009606
Book TitleVaani Vyvahaar Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages45
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size33 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy