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सेवा के फल.....
जगत का काम कीजिए, आपका होता ही रहेगा। जगत का काम करने पर आपका काम अपने-आप होता रहेगा और तब आपको आश्चर्य होगा।
मनुष्य ने जब से किसी को सुख देना शुरू किया, तब से धर्म की शुरूआत हुई। खुद का सुख नहीं, पर सामनेवाले की अड़चन कैसे दूर हो यही रहा करे, वहीं से कारुण्य की शुरूआत होती है। हमें बचपन से ही सामनेवाला की अड़चन दूर करने की चाह थी। खुद के लिए विचार भी नहीं आये वह कारुण्य कहलाये। उससे ही 'ज्ञान' प्रकट होगा !
दादाश्री
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सेवा - परोपकार