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दादा भगवान कथित
सत्य-असत्य के रहस्य
सत्य और असत्य के बीच का भेद क्या है?
असत्य तो असत्य है ही, पर यह जो सत्य है न, वह व्यवहार सत्य है, सच्चा सत्य नहीं है। ये जमाई हमेशा के लिए जमाई नहीं हैं, ससुर भी हमेशा के लिए नहीं होते। निश्चय सत्य हो उसे सत् कहा जाता है, वह अविनाशी होता है। और विनाशी हो उसे सत्य कहा जाता है। यह सत्य भी वापिस असत्य हो जाता है, असत्य ठहरता है। फिर भी यदि सांसारिक सुख चाहिए तो असत्य पर से सत्य में आना चाहिए, और मोक्ष में जाना हो तो यह ( व्यवहार ) सत्य भी असत्य ठहरेगा तब मोक्ष होगा!
-दादाश्री
ISBN 978-81-89933-68-5
9788189-933685