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सर्व दुःखों से मुक्ति
सर्व दुःखों से मुक्ति
प्रश्नकर्ता : श्रद्धा के बल पर हमारे दु:ख हम भूल सकते है के नहीं?
दादाश्री : श्रद्धा दो प्रकार की है - एक wrong belief है और एक right belief है। आपको wrong belief की श्रद्धा से कुछ फायदा नहीं मिलेगा। थोडी देर शांति रहेगी, मगर पूरा फायदा नहीं मिलेगा, problem solve नहीं हो जायेगा। आपका नाम क्या है?
प्रश्नकर्ता : रविन्द्र।
दादाश्री : क्या आप सचमुच रविन्द्र है? आप रविन्द्र है वह सच्ची बात है?
गाली दे तो भी सुख नहीं जाता। ये संसार के सब लोग क्या करते है? किसी ने गाली दिया तो बर्दाश्त कर लेते है। लेकिन जब खुद की पहचान हो गयी, फिर कुछ बर्दाश्त नहीं करना पडता। इतना आनंद होता है के फिर कुछ दुःख स्पर्श करता ही नहीं।
सुखप्राप्ति के कारण ! किसी भी आदमी को परेशान नहीं करना चाहिये। मानवधर्म तो होना चाहिये न? मानवधर्म क्या बोलता है कि आपको सुख कब मिलेगा? जब आप दूसरों को सुख देंगे तो आपको सख मिलेगा। दसरों
को जब दुःख देंगे तो आपको दु:ख मिलेगा। इसीलिए सबको सुख दो। इसमें first preference मनुष्य है। वो ही मानवधर्म है। इससे आगे भी धर्म है, वो last धर्म है। उसमें मन में भी हिंसा नहीं होनी चाहिये।
एक आदमी रोड पर चल रहा है और सामने से एक स्कटरवाला आया और टकरा गया, एक्सिडन्ट हुआ। रास्ते पर जानेवाले लोग है, उसको अंदर दुःख हो जायेगा, तो कोई एक आदमी तो अपना धोती फाडकर उसको बांध देता है। सो रुपये का धोती है, मगर उस समय हिसाब नहीं देखता कि मैं क्या कर रहा हूँ। जब धोती फाडकर बांधेगा, तब उसको आनंद होता है। धोती फाड दिया, उसका बदला उसी समय मिल जाता है। क्योंकि तुम्हारी जो चीज है, वह दूसरे के लिए दिया, उससे आनंद ही होता है। खुद के लिए लगाये तो आनंद नहीं होता है।
प्रश्नकर्ता : हमें तो सच लगता है।
दादाश्री : वो तो आपका नाम है, वो पहचानने के लिए है, मगर आप कौन है?
प्रश्नकर्ता : वो पहचानने की कहाँ ताकत है?
दादाश्री : वो पहचान ने की जरूरत है। आप रविन्द्र है, वो हम भी मानते है, वह पहचान करने के लिए है। मगर आपको ऐसी श्रद्धा हो गई है, कि मैं रविन्द्र ही हूँ। ये wrong belief है।
प्रश्नकर्ता : तो सच्ची belief क्या है?
दादाश्री : वो सच्ची belief 'ज्ञानी पुरुष' दे देते है। सब wrong belief fracture करते है और right belief दे देते है।
खुद का स्वरूप जान लिया, फिर बिलकुल शांति रहती है। जहाँ तक ये नहीं जाना, वहाँ तक दुःख है। 'ज्ञानी पुरुष' की कृपा से खुद की पहचान हो सकती है। फिर सब दु:ख चले जाते है। आसपास का दु:ख हो, उसी में भी समाधि रहे, उसका नाम वीतराग विज्ञान। कोई
हमारी life ऐसे पहेले से ही दूसरे के लिए ही है। हमने कभी हमारे लिए कुछ किया ही नहीं। तो हमको कितना आनंद होता होगा! उस समय हमको ज्ञान नहीं था, तो भी हम क्या करते थे कि भई, आपको क्या तकलीफ है? आपको क्या तकलीफ है? ऐसा सबको पूछते था और help करते थे।
प्रश्नकर्ता : भूतकाल भूला नहीं जाता तो क्या करना?