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मृत्यु समय, पहले और पश्चात्..
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मृत्यु समय, पहले और पश्चात्...
समझते हैं। उसके आधार पर हम आत्मा को मानने लगे है। नहीं तो यदि पुनर्जन्म का आधार नहीं होता तो आत्मा माना ही कैसे जा सकता है?
तो पुनर्जन्म किस का होता है? तब कहे, आत्मा है, तो पुनर्जन्म होता है, क्योंकि देह तो मर गया, जलाया गया, ऐसा हम देखते हैं।
अत: आत्मा का समझ में आता हो, तो हल आ जाए न! लेकिन वह समझ आए ऐसा नहीं है न! इसलिए तमाम शास्त्रों ने कहा कि 'आत्मा जानो!' अब उसे जाने बिना जो कुछ किया जाता है, वह सब उसे फायदेमंद नहीं है, हैल्पिंग नहीं है। पहले आत्मा जानो तो सारा सोल्युशन (हल) आ जाएगा।
पुनर्जन्म किस का? प्रश्नकर्ता : पुनर्जन्म कौन लेता है? जीव लेता है या आत्मा लेता
दादाश्री : वह तो हर एक जन्म पूर्वजन्म ही होता है। अर्थात् हर एक जन्म का संबंध पूर्वजन्म से ही होता है।
प्रश्नकर्ता : लेकिन पूर्वजन्म का इस जन्म से क्या लेना-देना है?
दादाश्री : अरे अगले जन्म के लिए यह पूर्वजन्म हुआ। पिछला जन्म, वह पूर्वजन्म है, तो यह जन्म है। वह अगले जन्म का पूर्वजन्म कहलाता है।
है?
दादाश्री : नहीं, किसी को लेना नहीं पड़ता, हो जाता है। यह संसार 'इट हेपन्स' (अपने आप चल रहा) ही है!
प्रश्नकर्ता : हाँ, मगर वह किस से हो जाता है? जीव से हो जाता है या आत्मा से?
दादाश्री : नहीं, आत्मा को कुछ लेना-देना ही नहीं है. सब जीव से ही है। जिसे भौतिक सुख चाहिए, उसे योनि में प्रवेश करने का 'राइट' (अधिकार) है। जिसे भौतिक सुख नहीं चाहिए, उसे योनि में प्रवेश करने का राइट चला जाता है।
संबंध जन्म-जन्म का प्रश्नकर्ता : मनुष्य के हर एक जन्म का पुनर्जन्म के साथ संबंध
प्रश्नकर्ता : हाँ, वह बात सच्ची है। पर पूर्वजन्म में ऐसा कुछ होता है, जिसका इस जन्म के साथ कोई संबंध हो?
दादाश्री : बहुत ही संबंध, निरा! पूर्वजन्म में बीज पड़ता है और दूसरे जन्म में फल आता है। इसलिए उसमें, बीज में और फल में फर्क नहीं? संबंध हुआ कि नहीं?! हम बाजरे का दाना बोएँ, वह पर्वजन्म और बाल आए, वह यह जन्म, फिर से इस बाल में से बीज रूप में दाना गिरा वह पूर्वजन्म और उसमें से बाल आए, वह नया जन्म। समझ में आया कि नहीं?
प्रश्नकर्ता : एक आदमी रास्ते पर चलता हुआ जा रहा है और दूसरे कितने ही रास्ते पर चलते हुए जाते हैं, पर कोई साँप अमुक आदमी को ही काटता है, उसका कारण पुनर्जन्म ही?
दादाश्री : हाँ, हम यही कहना चाहते हैं कि पुनर्जन्म है। इसलिए वह साँप आपको काटता है, पुनर्जन्म नहीं होता तो आपको साँप नहीं काटता, पुनर्जन्म है, वह आपका हिसाब आपको चुकाता है। ये सभी हिसाब चुक रहे हैं। जिस तरह बहीखाते के हिसाब चुकता होते हैं न, उसी तरह सभी हिसाब चूक रहे हैं। और 'डेवलपमेन्ट' के कारण ये हिसाब सभी हमें समझ में आते भी है। इसलिए हमारे यहाँ कितने ही लोगों को. पुनर्जन्म है ही, ऐसी मान्यता भी हो गई है न! परन्तु वे