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मृत्यु समय, पहले और पश्चात..
मृत्यु समय, पहले और पश्चात्...
मृत्युतिथि के समय प्रश्नकर्ता : परिवार में किसी की तिथि आए, तो उस दिन परिवारजनों को क्या करना चाहिए? दादाश्री : भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि उसका भला हो।
फिर ठिकाना मिलता नहीं प्रश्नकर्ता : किसी का अवसान हो, तो हमें जानना हो कि वह व्यक्ति अब कहाँ है, तो वह कैसे पता चले?
कुछ बाधाएँ आती हों, वह हमें पूछो, वे हम आपको दूर कर देंगे।
प्रश्नकर्ता : मेरे बेटे का दुर्घटना में निधन हुआ है, तो उस दुर्घटना का कारण क्या होगा?
दादाश्री : इस संसार में जो सब आँखों से दिखाई देता है, कान से सुनने में आता है, वह सब 'रिलेटिव करेक्ट' (व्यवहार सत्य) है,... बिलकुल सत्य नहीं है वह बात! यह शरीर भी हमारा नहीं है, तो बेटा हमारा कैसे हो सकता है? यह तो व्यवहार से, लोक-व्यवहार से अपना बेटा माना जाता है, वास्तव में वह अपना बेटा होता नहीं है। वास्तव में तो यह शरीर भी हमारा नहीं है। इसलिए, जो हमारे पास रहे उतना ही अपना और दूसरा सभी पराया है! इसलिए बेटे को अपना बेटा मानते रहें, तो उपाधी होगी और अशांति रहेगी! वह बेटा अब गया, खुदा की ऐसी ही मर्जी है, तो उसे अब 'लेट गो' कर लो।
दादाश्री : वह तो अमुक ज्ञान के बिना दिखता नहीं न! अमुक ज्ञान चाहिए उसके लिए। और जानकर भी उसका कोई अर्थ नहीं है। पर हम भावना करें तो पहुँचती अवश्य है भावना। हम याद करें, भावना करें तो पहुँचती है। वह तो, ज्ञान के बिना दूसरा कुछ पता नहीं चलता न !
तुझे किसी व्यक्ति का पता लगाना है? कोई गया है तेरा सगासंबंधी?
प्रश्नकर्ता : मेरा सगा भाई ही अभी एक्सपायर हो गया?
दादाश्री : तो वह तुझे याद नहीं करता और तू याद किया करता है? यह एक्सपायर होना, उसका मतलब क्या है, समझता है? बहीखाते का हिसाब पूरा होना, वह। इसलिए हमें क्या करना है? हमें बहुत याद आए वह, तो वीतराग भगवान से कहना कि उसे शांति दीजिए। याद आता है, इसलिए उसे शांति मिले ऐसा कहना। दूसरा क्या हमसे हो सकता है?
अल्लाह की अमानत आपको जो कुछ पूछना हो पूछो। अल्लाह के वहाँ पहुँचने में जो
प्रश्नकर्ता : वह तो ठीक है, अल्लाह की अमानत अपने पास थी, वह ले ली!
दादाश्री : हाँ, बस। यह सारा बाग़ ही अल्लाह का है।
प्रश्नकर्ता : इस प्रकार जो उसकी मृत्यु हुई, वे अपने कुकर्म होंगे?
दादाश्री : हाँ, लड़के के भी कुकर्म और आपके भी कुकर्म, अच्छे कर्म हों, तो उसका बदला अच्छा मिलता है।
पहुँचें मात्र भाव के स्पंदन बच्चे मर गए फिर, उनके पीछे उनकी चिंता करने से उन्हें दु:ख होता है। अपने लोग अज्ञानता के कारण ऐसा सब करते हैं। इसलिए आपको जैसा है वैसा समझकर, शांतिपूर्वक रहना चाहिए। बेकार माथापच्ची