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________________ मैं कौन हूँ? मैं कौन हूँ? तो सेठ क्या कहेंगे कि 'मेरा नाम तो जयंतीलाल है और जनरल ट्रेडर्स तो मेरी दुकान का नाम है।' अर्थात दुकान का नाम अलग और सेठ उससे अलग, माल अलग, सब अलग अलग होता है न ? आपको क्या लगता है? प्रश्रकर्ता : सही है। दादाश्री : पर यहाँ तो, 'नहीं, मैं ही चन्दूलाल हूँ' ऐसा कहेंगे। अर्थात दुकान का बोर्ड भी मैं, और सेठ भी मैं ! आप चन्दलाल हैं, वह तो पहचान का साधन है। असर हुआ, तो आत्मस्वरुप नहीं ! (१) 'मैं' कौन हूँ? भिन्न, नाम और 'खुद' ! दादाश्री : क्या नाम है आपका ? प्रश्नकर्ता : मेरा नाम चन्दूलाल है। दादाश्री : वाक़ई आप चन्दूलाल हैं ? प्रश्नकर्ता : जी हाँ। दादाश्री : चन्दूलाल तो आपका नाम है। चन्दूलाल आपका नाम नहीं है ? आप 'खुद' चन्दूलाल हैं कि आपका नाम चन्दूलाल है ? प्रश्नकर्ता : वह तो नाम है। दादाश्री : हाँ, तो फिर 'आप' कौन ? यदि 'चन्दूलाल' आपका नाम है तो 'आप' कौन हैं ? आपका 'नाम' और 'आप' अलग नहीं ? 'आप' नाम से अलग हैं तो 'आप'(खद) कौन हैं? यह बात आपको समझ में आती है न, कि मैं क्या कहना चाहता हूँ? 'यह मेरा चश्मा' कहने पर तो चश्मा और हम अलग हुए न ? ऐसे ही आप(खुद) नाम से अलग हैं, ऐसा अब नहीं लगता ? जैसे कि दुकान का नाम रखें 'जनरल ट्रेडर्स', तो वह कोई गुनाह नहीं है। पर उसके सेठ से हम कहें कि 'ऐ! जनरल ट्रेडर्स, यहाँ आ।' आप चन्दूलाल बिलकुल नहीं हैं ऐसा भी नहीं। आप हैं चन्दूलाल, मगर 'बाइ रिलेटिव व्यू पॉइन्ट' (व्यावहारिक दृष्टि) से यू आर चन्दूलाल, इज करेक्ट। प्रश्नकर्ता : मैं तो आत्मा हूँ, पर नाम चन्दूलाल है। दादाश्री : हाँ, पर अभी 'चन्दूलाल' को कोई गाली दे तो आपको असर होगा कि नहीं? प्रश्नकर्ता : असर तो होगा ही। दादाश्री : तब तो आप 'चन्दूलाल' हैं, 'आत्मा' नहीं हैं। आत्मा होते तो आपको असर नहीं होता, और असर होता है, इसलिए आप चन्दूलाल ही हैं। चन्दूलाल के नाम से कोई गालियां दे तो आप उसे पकड़ लेते हैं। चन्दूलाल का नाम लेकर कोई उल्टा-सीधा कहे तो आप दीवार से कान लगाकर सुनते हैं। हम कहें कि, 'भैया, दीवार आपसे क्या कह रही है ?' तब कहते हैं, 'नहीं, दीवार नहीं, भीतर मेरी बात चल रही है उसे मैं सुन रहा हूँ।' किसकी बात चल रही है ? तब कहें, 'चन्दूलाल की।' अरे, पर आप चन्दूलाल नहीं हैं। यदि आप आत्मा हैं तो चन्दूलाल की बात अपने ऊपर नहीं लेते।
SR No.009591
Book TitleMai Kaun Hun
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2005
Total Pages27
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size271 KB
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