________________
४. फैमिलि आर्गेनाइजेशन
२९
सेठ आपकी सुगंध आपके घर में आती है ?
प्रश्नकर्ता: सुगंध मतलब क्या ?
दादाश्री : आपके घर के सब लोगों को आप राज़ी रखते हो? घर में कलह होती नहीं न?
प्रश्नकर्ता: कलह तो होती है। रोज़ होती है।
दादाश्री : तब किस तरह के पैदा हुए आप कि पत्नी को शांति नहीं दी, बच्चों को शांति नहीं दी, अरे! आपने खुद को भी शांति नहीं दी! आपको मोक्ष में जाना हो तो मुझे आपको डाँटना पड़ेगा और आपको देवगति में जाना हो तो दूसरा सरल रास्ता आपको लिख दूँ। फिर तो मैं आपको 'आइए सेठ, पधारिए' ऐसा कहूँगा। मुझे दोनों भाषाएँ आती हैं। यह भ्रांति की भाषा मेँ भूल नहीं गया हूँ। पहले 'तुंडे तुंडे मतिर्भिन्ना' थी, वह अभी तुमडे तुमडे मतिर्भिन्न हो गई है! तुंड गए और तुमडे रहे ! संसार के हिताहित का भी कोई भान नहीं है।
ऐसा संस्कार सिंचन शोभा देता है?
माँ-बाप के तौर पर किस तरह रहना उसका भी भान नहीं है। एक भाई थे खुद की पत्नी को बुलाते हैं, 'अरे, मुन्ने की मम्मी कहाँ गई ?' तब मुन्ने मम्मी अंदर से बोलती है, 'क्यों, क्या है?' तब भाई कहें, 'यहाँ आ, जल्दी जल्दी यहाँ आ, देख देख तेरे बच्चे को ! कैसा पराक्रम करना आता है, अरे देख तो सही!! मुन्ने ने पैर ऊँचे करके मेरी जेब में से कैसे दस रुपये निकाले! कैसा होशियार हो गया है मुन्ना !!'
घनचक्कर, ऐसे कहाँ से पैदा हुए? ये बाप बन बैठे ! शरम नहीं आती? इस बच्चे को कैसा उत्तेजन मिला, वह समझ में आता है ? बच्चा देखता रहा कि मैंने बहुत बड़ा पराक्रम किया ! ऐसा तो शोभा देता है? कुछ नियमवाला होना चाहिए न? यह हिन्दुस्तान का मनुष्यपन इस तरह लुट जाए, वह शोभा देता है हमें? क्या बोलने से बच्चे को अच्छा एन्करेजमेन्ट मिलता है और क्या बोलने से उसे नुकसान होता है, उसका
३०
क्लेश रहित जीवन भान तो होना चाहिए न? यह तो अनटेस्टेड फादर और अनटेस्टेड मदर हैं। बाप मूली और माँ गाजर, फिर बोलो बच्चे कैसे बनें? वे थोड़े ही सेब बनेंगे?
प्रेममय डीलिंग - बच्चे सुधरेंगे ही
एक बाप ने अपने बच्चे को थोड़ा-सा ही हिलाया और बच्चा फट पड़ा, और बाप को कहने लगा कि मेरा और आपका नहीं जमेगा। फिर बाप बच्चे को कहने लगा कि भाई मैंने तुझे कुछ भी खराब नहीं कहा, तू किसलिए गुस्सा होता है? तब मैंने बाप से कहा कि, 'अब किसलिए कमरा धोते हो? पहले हिलाया ही किसलिए ?' किसी को हिलाना मत, ये पके हुए फूट (ककड़ी जैसा फल) है। कुछ बोलना मत। मेरी भी चुप और तेरी भी चुप । खा-पीकर मज़े करो ।
प्रश्नकर्ता : यह बच्चा खराब लाइन पर चढ़ जाए तो माँ-बाप का फ़र्ज़ है न कि उसे वापिस मोड़ना चाहिए?
दादाश्री : ऐसा है न, कि माँ-बाप होकर उसे कहना चाहिए, पर माँ-बाप हैं ही कहाँ आजकल?
प्रश्नकर्ता: माँ-बाप किसे कहा जाता है?
दादाश्री : माँ-बाप तो वे कहलाते हैं कि बच्चा खराब लाइन पर चला गया हो, फिर भी एक दिन माँ-बाप कहेंगे, 'भाई, ये हमें शोभा नहीं देता, यह तूने क्या किया?' तब दूसरे दिन से उसका बंद हो जाए। ऐसा प्रेम ही कहाँ है? ये तो प्रेम बिना के माँ-बाप । यह जगत् प्रेम से ही वश में होता है। इन माँ-बापों को बच्चों पर कितना प्रेम है? जितना गुलाब के पौधे पर माली का प्रेम होता है उतना ! इन्हें माँ-बाप ही कैसे कहा जाए? अन्सर्टिफाइड फादर और अन्सर्टिफाइड मदर। फिर बच्चे की क्या स्थिति हो? असल में तो पहले टेस्टिंग करवाकर सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद ही शादी करने की छूट होनी चाहिए। परीक्षा में पास हुए बिना, सर्टिफिकेट के बिना गवर्नमेन्ट में भी नौकरी पर नहीं लेते हैं, तो इसमें सर्टिफिकेट