SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जगत कर्ता कौन? जगत कर्ता कौन? दुर्घटना क्या है? प्रश्नकर्ता : अगर भगवान की इच्छा मान ली तो दुर्घटना जैसा कुछ नहीं है। दादाश्री : हाँ, मगर दुर्घटना होती हैं? इस जगत में कभी दुर्घटना होती ही नहीं। दुर्घटना होती हैं, वैसा नहीं समझनेवाला छोटा आदमी बोलता है। मगर बड़ा समझवाला आदमी नहीं बोलता है कि 'अरे, दुर्घटना हो गई !!' जो कच्ची समझवाला है, वो बोलता कि ये दुर्घटना है, मगर सच्ची समझवाला तो कभी नहीं बोलेगा। दुर्घटना तो कभी होता ही नहीं। आपको क्या लगता है, दुर्घटना होता है कभी? माइल आप चलते है, इतना माइल कम हो जाता है और इसका अंत भी है। प्रश्नकर्ता : वो अंत में क्या है? दादाश्री : अंत में आप पर्मनेन्ट (अविनाशी) हो सकते हैं। अभी तो आप टेम्पररी (विनाशी) हैं, क्योंकि 'मैं रविन्द्र हूँ, मैं डॉक्टर हूँ' ऐसी सब आपको रोंग बिलिफ (गलत मान्यता) है। प्रश्नकर्ता : मृत्यु के बाद कहाँ जाते हैं? दादाश्री : इधर अभी ग्यारहवें माइल पर हैं, वो बारहवें माइल पर जाता है। इधर दसवें माइल पर है, वो ग्यारहवें माइल पर जाता है। कोई दूसरी जगह पर नहीं जाता, वो ही रास्ता है। जितना रास्ता उसने पार किया, उतना आगे चला जाता है। वो आगे ही बढ़ता है। जब यह रास्ता परा होता है, तब वो स्वतंत्र हो जाता है। तब तक स्वतंत्र नहीं है, परवश ही रहता है। आपका बोस (मालिक) है? बोस है तब तक ज़िन्दगी में कितनी तकलीफ रहती है? कितनी परवशता रहती है? प्रश्नकर्ता : पसंद तो नहीं है। दादाश्री : हाँ, तो इन्डिपेन्डन्ट लाइफ (स्वतंत्र जिन्दगी)चाहिए। यह जगत किसी ने बनाया नहीं है। The world is the puzzle itself. God has not puzzled this world at all ! खुद ही, स्वयं पहेली बन गया है। आपको पज़ल होता है या नहीं? कोई बोले कि 'रविन्द्र अच्छा आदमी नहीं है।' इतना सुनते ही आपको कुछ पज़ल हो जाता है? दुर्घटना किसे बोलते हैं ? An incident has so many causes and An accident has too many causes. तो दुर्घटना (आमतौर पर) कभी होती ही नहीं। दुर्घटना है उसके तो कॉज़िज़ (कारण) ज्यादा रहते हैं और 'इन्सिडन्ट' है उसके कम कॉज़िज़ रहते है। पूरा दिन इन्सिडन्ट ही रहता है। कभी कभी ज्यादा कॉज़िज़ होते हैं उसको एक्सिडन्ट बोलते हैं। बम्बई में हाइ-वे क्रोस करते समय किसी आदमी के सामने गाड़ी आ जाए तो गाड़ीवाला ड्राइवर क्या बोलेगा कि हमने कोशिश करके इसे बचा दिया। मगर वो आदमी बोलता है कि नहीं. मैं ही ऐसा कूदा कि बच गया। ये दोनों बातें गलत हैं। थोड़ा आगे जाने पर वही ड्राइवर दूसरे आदमी की टांग तोड देता है। ऐसा कैसा बचानेवाला आया!!! प्रश्नकर्ता : होता है। दादाश्री : क्यों पज़ल होता है? क्योंकि यह जगत खुद पज़ल (पहेली) है। (आमतौर पर) एक्सिडन्ट कभी होता ही नहीं। ये तो लोगों को पता नहीं चलता इसलिए बोलते हैं कि ये एक्सिडन्ट हो गया। सारा दिन इन्सिडन्ट (घटना) ही होते हैं।
SR No.009587
Book TitleJagat Karta Kaun
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2008
Total Pages27
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size244 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy