________________
ज्ञानी पुरुष की पहचान
ज्ञानी पुरुष की पहचान व्यवहार में, वास्तव में - वाणी का वक्ता कौन? दादाश्री : 'दादा भगवान' को कभी देखा था आपने? प्रश्नकर्ता : आज ही देख रहा हूँ भगवत् कृपा से, आपके आशीर्वाद
क्या भूल है, किधर भूल है, किधर नहीं, किसी को नुकसान करे ऐसी वाणी है, तो ऐसी नहीं होनी चाहिये, वो सब देखते है।
आपके अंदर भी ओरिजिनल टेपरेकर्ड है, मगर आपको ईगोइजम (अहंकार) है, कि हमने बोला। ओहोहो, बोलनेवाला आया! आप ईगोइजम से बोलते है कि हमने बोला मगर वो अंदर ओरिजिनल टेपरेकर्ड है, वो बोलता है। सब लोग बोलते है कि 'हमने बोला।' लेकिन आदमी के अंदर भी रेकर्ड बोलता है, कुत्ते में भी रेकर्ड बोलता है, गधे में भी रेकर्ड बोलता है, सभी रेकर्ड ही है। वकील भी बोलता है, 'हमने बोला, हमने ऐसा प्लीडींग किया।' तो आप बोलेगा कि 'भाई, आज आपने गलती क्यों किया?' तो बोलेगा कि 'आज मेरे से भूल हो गई।' आप बोलनेवाले हो तो फिर गलती नहीं होनी चाहिये। कितनी दफे ऐसा भी बोलते है न, कि 'हमारे को ऐसा नहीं बोलने का था मगर बोल दिया।' तो ये सिर्फ रेकर्ड ही है।
से।
दादाश्री : ये 'दादा भगवान' नहीं है। ये तो A. M. Patel है। ये शरीर तो भगवान होता ही नहीं है। अंदर भीतर में चैतन्य है, वो ही भगवान है। वो 'दादा भगवान' है, चौदह लोक के नाथ है। ये आपके साथ कौन बात कर रहा है?
प्रश्नकर्ता : भीतर में आत्मा है, वो बात करती है।
दादाश्री : नहीं, जो आपके साथ बात करती है, वो ओरिजिनल टेपरेकर्ड है। इसके आगे ओरिजिनल टेपरेकर्ड नहीं है। उससे कितनी भी टेपरेकर्ड निकल सकती है। तो ये जो बात करती है, वह ओरिजिनल टेपरेकर्ड है। वो ही बोलती है। वो 'मैं' नहीं बोलता हूँ, 'दादा भगवान' भी नहीं बोलते है। 'दादा भगवान' बोले तो, वो भगवान ही नहीं है। भगवान तो भगवान ही है। जो 'दादा भगवान' है न, वो तो ओरिजिनल टेपरेकर्ड क्या बोलती है, सच्ची बात है कि झूठी है, वह तुरंत समज जाते है। ये वाणी आप सुनते है तो आप श्रोता है. ये टेपरेकर्ड वक्ता है और हम ये वाणी को देखते है, ज्ञाता-द्रष्टा रहते है। हम सुपरवीझन करते है कि इसमें
कोर्ड टेपरेकर्ड बोले कि 'रविन्द्र अच्छा नहीं', तो क्या आपको बुरा मानने का? टेपरेकर्ड बोलती है, इसमें हमें क्या? हमें ये भ्रांति है कि ये आदमी हमको बोलता है। मगर ये तो आदमी नहीं बोलता है, टेपरेकर्ड बोलती है। ये नहीं समझने से ही सब झगड़े है। कोई आदमी बोलता ही नहीं है। मगर ये जानता है कि हम बोलते है, तो फिर उसका पश्चाताप भी होता है कि हम ऐसा क्यों बोल गये? और ये तो टेपरेकर्ड बोलती है, तो आपको बुरा नहीं लगाने का, बात समझ जाने की है।
प्रश्नकर्ता : ये ओरिजिनल टेपरेकर्ड झूठ क्यों बोलती है?
दादाश्री : वो तो जैसी पहले टेप हो गयी है ऐसी नीकलती है। उसमें चेतन(आत्मा) दुसरा कुछ नहीं कर सकता है। आपका भाव कैसा होता है, कि जूठ बोलना चाहिये तो 'टेप' जठी निकलेगी। सच्चा ही बोलना चाहिये तो टेप सच्ची निकलेगी। आप खाली भाव ही कर सकते है, तो वैसा टेप हो जाता है।
आपके अंदर टेप है कि नहीं?