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अनुक्रमणिका
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दर्शन निरावरण है। इसलिए उनके प्रत्येक वचन आशयपूर्ण, मार्मिक, मौलिक और सामनेवाले के व्यु पोईन्ट को एक्जेक्ट समजकर निकलने के कारण श्रोता के दर्शन को सुस्पष्ट खोल देते है और ओर ऊंचाई पर ले जाते है।
ऐसे 'ज्ञानी पुरुष' का दर्शन, ज्ञान, चारित्र, उनकी अनुभव दशा, उनका 'ओब्झर्वेशन' आदि वाणी से ही प्रगट होता है, वह वाणी प्रस्तुत ग्रंथ में प्रकाशित की गई है, जो 'ज्ञानी' की पहचान करा देती है, इतना ही नहीं, सुज्ञ वाचक को नयी द्रष्टि, नयी राह मोक्षपथ काटने को देती है।
ऐसे 'ज्ञानी पुरुष' लाखों लोगों के पुण्योदय से भारत भूमि पर, गुजरात की चरोतर भूमि में भादरण गाँव में प्रगट हुए, जो इस विश्व में किस तरह शांति हो, किस तरह लोग आत्मज्ञान पाकर संसार के चक्कर से छूटे, यह भावना को साकार करने के लिए दिन-रात जूटे हुए रहते थे। उनकी वाणी ही एकमेव ऐसा साधन है कि जो उनके भीतर में प्राप्त हो ज्ञान को आम जन तक पहुँचा सके। बरसों से सुबह साढ़े छह बजे से रात को साड़े ग्यारह बजे तक वे अविरत आत्मा-परमात्मा तथा संसार की उलझनों का सुझाव लोगों को अपनी वाणी से देते रहते थे। उस वाणी को प्रस्तत ग्रंथ में संकलित किया गया है। हृदयपूर्वक की भावना है कि जो भी कोई मुमुक्षु, जिज्ञासु या विचारक उसका सम्यक् प्रकार से अध्ययन करेगा, उसे अवश्य सम्यक् मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं।
'ज्ञानी पुरुष' की वाणी सरल होती है, अहंकार के बिना, प्रगट परमात्मा को 'डिरेक्ट' स्पर्श करके निकली हुई यह साक्षात् सरस्वती है, यह वाणी द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव और निमित्त के आधीन निकलती है। प्रस्तुत ग्रंथ में संकलित की हुई इस वाणी में सुज्ञ वाचक को यदि कहीं कभी गलती लगे तो वह क्षति 'ज्ञानी' की वाणी में नहीं, बल्कि संकलन की है, जिसके लिए हृदय से क्षमा प्रार्थना !
- डॉ. नीरुबहन अमीन के जय सच्चिदानंद
१. व्यवहार में, वास्तव में-वाणीका वक्ता कौन ? २. 'ज्ञानी पुरुष' कौन ? 'दादा भगवान' कौन ? ३. बिना अनुभूति, बातें क्या? ४. गुरु और ज्ञानी! ५. खुली आंख से 'जागृत' कौन ? ६. मोक्षमार्ग में - गुरु या ज्ञानी? ७. प्रभु को पहचाना? ८. ज्ञानी बिना द्रष्टिभेद कौन कराये? ९. 'ज्ञानी पुरुष' किसे कहा जाय? १०. भगवान - प्रेम स्वरूप या आनंद स्वरूप? ११. विवेक, विनय, परम विनय! १२. प्रत्यक्ष भक्ति - किस पुरूष की? १३. अंत में वेद क्या कहते है? १४. आत्मप्राप्ति - शास्त्र से या 'ज्ञानी' से? १५. ये चमत्कार या यशनाम कर्म? १६. 'ज्ञानी', ' कारण' सर्वज्ञ! १७. Real में, Relative में - ज्ञानी की ज्ञानदशा ! १८. ज्ञानी कृपा - द्रष्टि का फल! १९. 'ज्ञानी पुरुष' की पहचान ज्ञानी द्वारा