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चमत्कार
चमत्कार
वही की वही राख! और कुछ निकाल दिया, फलाना निकाल दिया, तो हम कहें न कि भाई, अनाज निकाल न, ताकि फ़ॉरेन से लाना नहीं पड़े।
प्रश्नकर्ता : ये सब लोग जो चमत्कार करते हैं, ये चमत्कार करके वे क्या सिद्ध करना चाहते हैं?
दादाश्री : चमत्कार करके उनकी खुद की महत्ता बढ़ाते हैं। महत्ता बढ़ाकर इस भेड़चाल में चलनेवाले के पास से खुद का लाभ उठाते हैं सारा। पाँच इन्द्रियों के विषय संबंधी सभी लाभ उठाते हैं और कषाय संबंधी भी लाभ उठाते हैं, सभी प्रकार का लाभ उठाना है। इसलिए अब हम चमत्कार वस्तु को ही उड़ा देना चाहते हैं कि भाई, ऐसे चमत्कार में फँसना नहीं। पर भेड़चालवाला प्रवाह तो फँसनेवाला ही है, लालची है इसलिए। और कोई भी व्यक्ति यदि लालची हो तो उसे बुद्धिशाली कह ही नहीं सकते। बुद्धिशाली को लालच नहीं होता और लालच हो तो बुद्धि है नहीं!
वह प्रकट करे धर्मभावना और कितने ही संत कहते हैं, 'अरे ऐसा हो गया, निरंतर राख गिरती रहती है।' अरे, मुझे राख से क्या काम है? मुझे श्रद्धा बैठे ऐसा बोल कछ। ऐसे राखवाली श्रद्धा कितने दिन रहेगी? तु ऐसा कुछ बोल कि मैं हिलं नहीं तेरे पास से! पर बोलने की शक्ति नहीं रही, तब राख गिरानी पड़ी!
चमत्कार करके राख निकालता है और फलाना निकालता है। अब वह जो करते हैं न, वह उनकी साधना है एक प्रकार की! और उससे धर्म के रास्ते मोड़ते हैं लोगों को। इसलिए मैंने कहा था लोगों से कि, 'भाई, वह अच्छा है। ऐसा हो तो उसकी बात का खंडन करके उड़ा मत देना। क्योंकि जो लोग धर्म जैसी वस्तु ही नहीं समझते, उन लोगों को रास्ते पर लाते हैं, धर्म के लिए प्रेरित करते हैं और फिट (लायक) बना देते हैं, वह अच्छा है!' इसलिए वहाँ जानेवाले फिर मझसे मिलने आते हैं। मुझे मिलने आते हैं तब मैं कहता हूँ, 'वहाँ पर जाओ।' क्योंकि वे
आपको इस रास्ते पर चढ़ा देंगे। उनमें इतनी शक्ति है कि वे आपकी श्रद्धा जीत लेते हैं। वे ऐसा नहीं कहते कि आप मुझ पर श्रद्धा रखो। वह तो अभी चमत्कार दिखाकर तुरन्त ही श्रद्धा बैठा देते हैं। पर वह 'लो स्टेन्डर्ड' के लिए है, 'हायर स्टेन्डर्ड' के लोगों के लिए वह नहीं है। 'हायर स्टेन्डर्डवालों' की तो बुद्धि कसी हुई होती है, इसलिए वहाँ मत जाना। बुद्धि कसी हुई नहीं हो, तो वहाँ पर जाना। यानी हरएक प्रकार के लोग होते हैं। 'स्टेन्डर्ड' तो हरएक प्रकार के होते हैं न? आपको कैसा लगता है?
प्रश्नकर्ता : वे भक्त दूसरे जन्म में ज्ञानी होनेवाले हैं क्या?
दादाश्री : अभी तो कई जन्म होंगे, तब तक ऐसे का ऐसा ही चलता रहेगा। उसके बाद कसी हुई बुद्धिवाले विभाग में आएंगे और कसी हुई बुद्धिवाले विभाग में तो कई जन्म होते हैं, तब वे धीरे-धीरे ज्ञान के रास्ते पर आएँगे!
हम अमरीका गए तब एक व्यक्ति मुझे कह रहा था कि, 'मुझे आत्मज्ञान जानना है?' मैंने कहा, 'अभी आप क्या करते हो?' तब उसने कहा, 'ये, संत का कहा करता हूँ।' मैंने कहा, 'वे आपको क्या हेल्प करते हैं?' तब उसने कहा, 'हम आँख बंद करें और वे दिखते हैं।' मैंने उसे कहा, 'तुझे वहाँ स्थिरता रहती है तो यहाँ मेरे पास आने का तुझे क्या मतलब है? मेरे यहाँ तो, आपको स्थिरता नहीं रहती हो तो यहाँ आना।' जिसे किसी भी जगह पर स्थिरता रहती है, उसे बिना काम के स्थिरता छुड़वाकर यहाँ आने दूँ तो वह डाली भी तू छोड़ दे और यह डाली भी तू छोड़ दे तो तेरी क्या दशा होगी? अपने कहने से वह डाली छोड़ दे
और यह डाल उससे पकड़ी नहीं जाए तो? बिगड जाएगा न हिसाब?! जो एक जगह में रंगा हुआ हो, उसे मैं यहाँ आने के लिए मना करता हैं, पर जिसे किसी भी वस्तु से संतोष ही नहीं होता उसे मैं कह देता हँ, 'भाई, आना यहाँ पर!' संतोष नहीं होता हो, उसे ! क्योंकि 'क्वॉन्टिटी' के लिए नहीं है यह मार्ग, 'क्वॉलिटी' के लिए है। क्वॉन्टिटी मतलब यहाँ लाखों लोग इकट्ठे नहीं करने हैं मुझे। यहाँ क्या करना है, लाखों इकट्ठे करके? बैठने की जगह न मिले और ये आपके जैसों को, इन सबको