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________________ एडजस्ट एवरीव्हेर ११ एडजस्टमेन्ट लेना आ जाये । इसके पिछे का सायन्स क्या कहता है कि वीतराग हो जाइए, राग-द्वेष मत कीजिए। यह तो भीतर थोड़ी आसक्ति रह जाती है, इसलिए मार पड़ती है । इस व्यवहारमें एस पक्षीय - नि:स्पृह हो गये हो वे टेढ़े कहलाये । हमें जरूरत होने पर सामनेवला टेढ़ा होयफिर भी उसे मना लेना चाहिए । यह स्टेशन पर मज़दूरकी ज़रूरत हो और वह आनाकानी करता है फिर भीउसे चार आने कम-ज्यादा करके मना लेना होगा और (11) नहीं मनायेंगे तो वहबेग हमारे सिर पर ही थोपेगा न ? "डॉन्ट सी लॉज प्लीझ सेटल" (कानून मत देखो, कृपया समाधान करो) सामनेवाले से "सेटलमेन्ट" (समाधान) लेनेको कहूं, "आप ऐसा करें, वैसा करें ऐसा कहनेके लिए वक्त ही कहाँ होगा ? सामनेवालेकी सौ भूले होने पर भी हमें तोहमारी ही भूल है कहकर आगे बढ़ जान है । इस कालमें लॉ" (कानून) कहीं देखा जाता है ? यह तो आखिरी हद तक आ गया है । जहाँ देखे वहाँ दौड़-धूप, भागम्भाग ! लोग उलझनमें पड़े है !! घर जाने पर वाईफ की फ़रियादे, बच्चोंकी फ़रयादे, नौकरी पर जायें तो शेदजी की फ़॥ यादें, बच्चोंकी फ़रियादे, नौकरी पर जायें तो शेठजी की फ़रियादें, रेलमें जायें तो भीड़में घक्के खायें ! कहीं भी चैन नहीं । चैन तो आना चाहिए न ? कोई लड़ने पर उतारु होजा ये तो हमें उस पर दया आनी चाहिए कि अहह, इसे कितना तनाव होगा कि लड़ने पर आमादा है! अकुलायें वे सभी कमज़ोर है ।' फरियाद ? नहीं एडजस्ट ! ऐसा है न, घरमें भी 'एडजस्ट' होते आना चाहिए । हम सत्संग में से देरसे घर लौटें तो घरवाले क्या कहेंगे ? " थोडी बहुत वक्तकी पाबंदी तो होनी चाहिए न ?” तब हम जल्दी घर जायें तो उसमें क्या गलत है ? उस बैल का नहीं चलने पर आरी चुभोते, है अगर वह आगे चलता रहेगा तो कोई उसे आरी नहीं चुभायेगा न! वर्ना आरी चुभानेके बाद आगे तो चलना ही होगा न ? आपने देखा है ऐसा ? आरी जिसमें आगे कील होती १२ एडजस्ट एवरीव्हेर हैउसे चुभाते है, अबोल प्राणी क्या करे ? किससे फ़रियाद करेगा वह ? इन लोगोको यदि आरी चुभोदे तो उन्हें बचाने लोग निकल आयेंगे । वह अबोल जानवर किसे फ़रियाद करेगा ? अब उसे ऐसा मार खानेका क्यों कर हुआ ? क्योंकि पिछले जनममें बहुत फ़रियादे की थी । उसका यह परिणाम आया है । उस दिन सत्तामें आया था तब फ़रियाद ही किया करता था । अब सत्तामें नहीं है इसलिए बिना फ़रियाद सहना है । इसलिए अब 'प्लस - माईन्स' कर डालें । इसके बजाय फ़रियादी ही नहीं हो, उसमें क्या गलत है ? फरियादी होंगेतो मुजरिम होने का वक्त आयेगा न ? हमें तो मुजरिम ( 12 ) भी नहीं होना है और फ़रियादी भी नहीं बनना है । सामनेवाला गाली देगया, उसे जमा ले लेना है, फ़रियादी होना ही नहीं न । आपको क्या लगता है ? फ़रियादी बनना ठीक है ? लेकिन उसके बजाय पहले से ही "एडजस्ट" हो जायें, उसमें क्या गलत है ? उलटा बोलनेका इलाज ! व्यवहारमें एडजस्टमेन्ट लेना, उसे इस कालमें ज्ञान कहा है । हाँ, एडजस्टमेन्ट ले । एडजस्टमेन्ट टूट रहा हो तब भी एडजस्टहो जायें । हमने किसीको भला-बुरा कह दिया । अब बोलना यह हमारे बसमें नहीं है। आप बोल दें, कि नहीं बोलते कभी ? बोल देनेके बाद तुरन्त हमें मालूम हो जायेगा कि गलती हो गई है। मालूम हुए बगैर नहीं रहता, पर उस समय हम फिर एडजस्ट करने नहीं जाते है ? उसके बाद तुरन्त उसे जाकर कहना चाहिए कि, "भैया, मैंने उस वक्त भला बुरा कह दिया, मेरी भूल हो हो गई, मुझे क्षमा करें " ! बस हो गया एडजस्ट । हर्ज है इसमें कोई ? प्रश्नकर्ता: नहीं, कोई हर्ज नहीं । हर जगह एडजस्टमेन्ट ले सकते हैं! प्रश्नकर्ता: कई बार ऐसा होता है कि एक ही बात के लिए एक समयपर दो व्यक्तियों के साथ 'एडजस्टमेन्ट' लेना हो तो उस समय सब
SR No.009572
Book TitleAdjust Everywhere
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year
Total Pages18
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size291 KB
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