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शिशुपालवधम्
हिन्दी अनुवाद -- इसलिए हस्तिनापुर की यात्रा रोक दीजिये और चेदि देश अर्थात् शिशुपाल के देश के वृक्ष हम लोगों के हाथियों से छोटी-छोटी शाखावाले हो जायँ ॥ ६३ ॥
विशेष - कवि ने यहाँ सेना में हाथियों की अधिकता सूचित की है, इस श्लोक - मैं पर्यायोक्तालङ्कार है
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प्रसङ्ग — प्रस्तुत श्लोक में बलराम जी शत्रु-शिशुपाल को जीतने के उपाय का उल्लेख करते हैं—
निरुद्धवीवधासारप्रसारां' गा इव व्रजम् ।
उपरुन्धन्तु दाशार्हाः पुरीं माहिष्मतीं द्विषः ॥ ६४ ॥
निरुद्धेति ॥ किश्व दाशार्हा यादवाः वीवधो धान्यादिप्राप्तिः आसारः सुहृद्वलम्, प्रसारस्तृणकाष्ठादेः प्रवेशः ।
धान्यदेववधः प्राप्तिरासारस्तु सुहृद्वलम् ।
प्रसारस्तृणकाष्ठादेः प्रवेश:
इतिवैजयन्ती । ते निरुद्धा यैस्ते तथोक्ताः, अन्यत्र निरुद्धो वीवधानां पर्याहारापरनाम्नां स्कन्धवाद्यक्षीराद्याहरणसाधनभार विशेषाणामासारप्रसारी प्रवेशनिर्गमो यैस्ते तथोक्ताः । 'विवधो वीवधो भारे पर्याहाराध्वनोरपि' इति हेमचन्द्रः । व्रजं गोष्ठम् । ‘व्रजः स्याद्गोकुलं गोष्ठम्' इति वैजयन्ती । गा इव माहिष्मतीं पुरीं द्विषोsनुरुन्धन्तु । व्रजे गा इव माहिष्मत्यामरीना वृण्वन्त्वित्यर्थ: । 'दुहिया चिरुधि- ' इति द्विकर्मकत्वम् । तत्र पुरीव्रजावकथितं कर्म, अन्यदीप्सितं कर्म ॥ ६४ ॥
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अन्वयः - दाशार्हाः निरुद्धवीबधासारप्रसाराः ( सन्तः ) व्रजं गाः इव माहिष्मत पुरीं द्विषः उपरुन्धन्तु ॥ ६४ ॥
हिन्दी अनुवाद - यादव लोग–गल्ला, ( भोज्य पदार्थ अन्नादि सामग्री ) मित्रवर्ग की सहायक सेना और घास, भूसा, ईंधन आदि का प्रवेश आना रोक कर महिष्मती में शत्रुओं को घेरलें । जैसे दूध, दही ढोने वाले लोगों का आना-जाना रोक कर गोकुल में गायें घेरली जाती हैं ॥ ६४ ॥
१. प्रसारा ।
विशेष - शत्रुपर आक्रमण करते समय आचार्य कौटिल्य कहते हैं कि जिस समय वीवध (धान्य) आसार और प्रसार ( लकड़ी - घास) आदि को जिस रास्ते से पहुचाया जा रहा हो, उस समय उसे नष्ट कर दिया जाय " विषमस्थस्य मुष्टिं सस्यं वा हन्याद्वीवधप्रसारौ च ।” (कौटिल्य अर्थशास्त्र - १२1४ )
प्रसङ्ग — प्रस्तुत श्लोक में बलराम जी कहते हैं कि-सभी के कार्य की दिशा