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वस्तुतः मारवाड़ की भूमि एक समय गुजरात ही कहलाती थी और आबू पर्वत के समीप ही भीनामाल की स्थित भी थी । ऐसी स्थिति में वर्तमान भीनमाल ही स्वीकार करना चाहिए । डुंगरपुर बाँसवाड़े की समीप की भूमि उसे क्यों समझी जाय 1 शिशुपाल - वध - काव्य में वर्णित ऊँटों का तथा ऊँटों की प्रकृति का यथार्थ वर्णन कवि को उस प्रदेश का ही निश्चित करता है । डुंगरपुर - बाँसवाड़े जैसे पथरीले भाग का निवासी कवि ऐसा यथार्थ वर्णन नहीं कर सकता जैसा रेगिस्तान का एक निवासी प्रत्यक्ष द्रष्टा । वस्तुतः ऊँट तो रेगिस्तान का जहाज कहलाता है और भीनमाल तो मारवाड़ में है ही । अतः ऊँटों का वहाँ होना स्वाभाविक ही है । भीनमाल के निकट आबू पर्वत हैं और वहीं लूणी नदी भी प्रवाहित हो रही है । कवि ने इसी पर्वत का वर्णन रैवतक पर्वत के रूप में किया है । यहाँ कि जड़ी-बूटियाँ रात्रि की चन्द्रिका में प्रकाशित होकर पर्वत की शोभा को बढ़ाती हैं । इसके अतिरिक्त शिशुपालवध की अधिकांश प्रतियों में यह उल्लेख इति श्री भिन्नमालव- वास्तव्यः दत्तकसूनोर्माघ.. माघ को भीनमाल का निवासी घोषित
करता है ।
शिशुपाल वध के १९ वें सर्ग के चक्रबन्ध श्लोक में श्लिष्ट रूप में अंकित वत्सभूमि ( भीनमाल, जालौर मारवाड़) का संकेत है, जो कवि को भीनमाल का बताता है । प्रबन्ध तथा अन्य तद्विषयक ग्रन्थ माघ को भीनमाल का निवासी बताते हैं । वसन्तगढ़ के शिलालेख तथा ब्रह्मगुप्त के ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त के आधार पर कवि माघ भीनमाल के ही निवासी सिद्ध होते हैं ।
उक्त विवेचन से यही सिद्ध होता है कि कविवर माघ की जन्मभूमि प्राचीन गुजरात प्रान्त के अन्तर्गत भीनमाल ही है जो आज राजस्थान के सिरोही जिले के निकट एक तहसील है ।