________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इयदेसण निसुणेवि, गोयमगणहर संचलिय; तापसपन्नरसएण, तो मुनि दीठो आवतो ए तपसोसिय नियअंग, अम्ह सगति नवि उपजे ए; किम चढसे दृढकाय, गज जिम दीसे गाजतो ए 34 गिरूओ एणे अभिमान, तापस जो मने चिंतवे ए: तो मुनि चडिओ वेग, आलंबवि दिनकरकिरण 35 कंचणमणिनिप्पन्न, दंड कलस धज वड सहिअ; पेखवि परमानंद, जिणहर भरतेसरविहिय निय निय कायप्रमाण, चउदिसि संठिअ जिणहबिंब; पणमवि मनउल्हास, गोयमगणहर तिहां वसिअ 37 वइरसामिनो जीव, तीर्यक्जुंभकदेव तिहां; प्रतिबोधे पुंडरीक, कंडरीक अध्ययन भणी वळता गोयमसामी, सवि तापस प्रतिबोधकरे, लेइ आपणे साथ, चाले जिम जूथाधिपति खीर खांड धृत आणी, अमिअवूठ अंगुट ठवि; गोयम एकणपात्र करावे पारणु सवि पंचसयां शुभभावि; उज्जळभरियो खीरमीसे, साचगुरुसंयोगे, कवळ ते केवळ रूप हुआ For Private And Personal Use Only