________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हुंकारो करि कंपतो समोसरणे पहोतो तुरंत, अह संसा सामि सवे; चरमनाह फेडे फुरंत, बोधिबीजसंजाय मने, गोयम भवहविरत्त, दिक्खलइ सिक्खा सहिअ, गणहरपयसंपत्त 27 भाषा (ढाळ चोथी) आज हुओ सुविहाण, आज पचेलिम पुण्यभरो दीठा गोयम सामि, जो निअनयणे अमिय भरो 28 (सिरिगोयम गणधार, पंचसयां मुनिपरिवरिय; भुमिय करय विहार, भवियणने पडिबोह करे. समवसरण मझार, जे जे संशय उपजे ए, ते ते पर उपकार, कारणे पूछे मुनिपवरो जिहां जिहां दीजे दीक्ख तिहां तिहां केवळ उपजे ए; आप कन्हे अणहुंत, गोयम दीजे दान इम गुरु उपरि गुरुभत्ति, सामी गोयम उपनीय; एणि छळ केवळनाण, रागज राखे रंगभरे जो अष्टापद सेल, वंदे चडी चउवीसजिण; आतमलब्धिवसेण, चरमशरीरी सोय मुनि 93 For Private And Personal Use Only