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पदार्थ विज्ञान
जितने भी मूर्तिक दृष्ट पदार्थ है वे सभी हिल-डुल गरते हैं अत सक्रिय है। शरीरके साथ रहनेवाला जीव भी गरीरने माय ही चलता-फिरता है अत वह भी सक्रिय है। परन्तु कुछ मजीव पदार्थ अक्रिय है-जैसे आकाश सदा ही स्थिर रहता है। वे पदार्थ कहाँ है यह दिखाया नहीं जा सकता क्योकि वे अमूर्तिक है । उनका विशेष विवरण आगे दिया जायेगा। ६. दोनो पदार्थोका सक्षिप्त परिचय
विश्वमे दो पदार्थ हैं-एक चेतन या जीव और दूसरा जड या अजीव । दोनोका विस्तार तो आगे क्रमपूर्वक किया जायेगा, यहाँ केवल उनका सक्षिप्त परिचय पा लेना योग्य है। चेतन या जीव उसे कहते है जो कि जान-देख सकता हो तथा दु.ख-सुख महसूस कर सकता हो। जड या अजीव उसे कहते हैं जो जान-देख न सकता हों और न हो जिसे दुख-सुख होता हो। कोडेसे लेकर मनुष्य-पर्यन्त सब जीव है। और ईंट, पत्थर, लोहा, सोना, कपडा आदि सब अजीव है । जीव अमूर्तिक है, क्योकि इन्द्रियोसे क्दापि देखा नही जा सकता। केवल अनुभवसे ही इस शरीरके भीतर महसूस किया जा सकता है। ईंट-पत्थर आदि अजीव मूर्तिक है क्योकि इन्द्रियोसे देखे जाते है। ७ जीवका सक्षिप्त परिचय ___जीवोके पास देखने-जाननेके जो साधन हैं, उन्हे इन्द्रिय कहते हैं। वे इन्द्रियां पांच हैं-स्पर्शन अर्थात् सारा शरीर, जिह्वा, नाक, आँख, कान । इनके अतिरिक्त मनको भी अन्तरग इन्द्रिय माना गया है। जाननेके इन साधनोमे होनाधिकताकी अपेक्षा तथा अनेक जातिके शरीरोकी अपेक्षा जीव अनेक प्रकारके होते है। इन्द्रियोकी अपेक्षा उनके छह भेद हैं-एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीइन्द्रिय, चतुरि