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उपसंहार १ पट् द्रव्य, २ पचास्तिकाय, ३ नृष्टि स्वत सिद्ध है, ४ मत्
तथा अनत्, ५ मसार, ६ सत्पुरुषार्थ ७ पदार्य विज्ञान की देन । १ षट् द्रव्य
इस प्रकार यहाँ तक छह मूल पदार्थोंका कथन करके विश्वको व्यवस्थाका स्वरूप दर्शानेका प्रयत्न किया गया है। इन छह बातो के विज्ञानमे हम निम्न बातें देखते हैं
१. लोकमे दो प्रकारके पदार्थ हैं-जीव तथा अजीव । २ जीव संसारी-मुक्त तथा स-स्थावर आदि अनेक
प्रकारके हैं। ३. अजीव पांच प्रकारके हैं-पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश,
तथा काल। ४. जीव तथा पुद्गल ही विश्वकी व्यवस्थामे मूल द्रव्य हैं,
क्योकि ये ही सर्वत्र क्रिगगील हैं। शेष चार इनके
सहायक मात्र हैं। ५ पुद्गल मूर्तिक है और शेष पांच अमूर्तिक ।
जीव तथा पुद्गल दोनो ही क्रियावान् हैं अर्थात् गमनागमनागमन कर सकते हैं अथवा अपने प्रदेशोमे चंचलता उत्पन्न कर सकते हैं तथा मिल और बिछुड़ सकते हैं । शेष चार अक्रिय हैं।