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पदार्थ विज्ञान
सूक्ष्म-स्थूल पुद्गल पदार्थका परिचय देते हुए बताया था कि सूक्ष्म कहते ही उसे है कि जो दूसरे पदार्थके भीतर प्रवेश पा जाये या समा जाये, और स्थूल पदार्थ वह है जो कि किसीके भीतर प्रवेश न पा सके । उनमे भी स्थूलता तथा सूक्ष्मताका तारतम्य पाया जाता है, जिसे दर्शानेके लिए उनको छह कोटियोमे विभाजित किया गया था । वहाँ देखनेपर पता चलता है कि जितना जितना पदार्थ सूक्ष्म होता चला जाता है, उसमे उतनी उतनी ही अन्य पदार्थोंमे प्रवेश पाने या समा जानेकी शक्ति प्रकट होती चली जाती है ।
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बहुत बड़ी फैली हुई वायुके कण एक दूसरेमे समामर एक ट्यूबजैसे छोटे स्थानमे रह जाते हैं । एक घडे-भर ऊँटनीके दूधमे एक घडा शहदका समा जाता है। पूरे भरे हुए पानीके गिलास मे एक चमचा नमकका समा सकता है । प्रकाश शीशेमे प्रवेश पा जाता है तथा अन्य प्रकाशोमे समा जाता है । ये पदार्थ तो स्थूल तथा स्थूलसूक्ष्म है। एक्सरेकी किरणें, चुम्बककी किरणें तथा रेडियोकी विद्युत तरंगें जो कि सूक्ष्म स्थूल या सूक्ष्म पदार्थ हैं, प्रत्यक्ष अन्य पदार्थमे प्रवेश पाकर समाते हुए देखे जाते है । यद्यपि साधारण प्रकाश शरीरसे रुक जाता है परन्तु एक्सरे शरीर मे से आर-पार हो जाता है और सामनेवाली प्लेटपर शरीरके अन्दरका फोटो खिंच जाता है । एक लकडीके टुकडे के नीचे की तरफ लगाकर चुम्बकको घुमाव या चलावें तो ऊपरवाले लोहाणु भी तदनुशार ही घूमने तथा चलने लगते है, जिससे पता चलता है कि चुम्बककी सूक्ष्म किरणें लकडी के भीतर प्रवेश पा गयी है । रेडियोकी विद्युत तरंगें पर्वतो तो भेदकर दूर-दूर देशोसे हमारे पास चली आती है । ताँवेके ठोस तार के भीतर बिजलीकी करेंट रूपसे एलेक्ट्रोनोका प्रवाह सबके प्रत्यक्ष है । अत आज के वैज्ञानिक युगमे ऐसी आशका करना योग्य नहीं,