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८ पुद्गल पदार्थ
१९७ क्योकि यहाँ तक सर्व पदार्थोंमे कुछ न कुछ स्थूलता अवश्य रहती है, जिसे हमारी इन्द्रियां पकड सकती हैं, परन्तु इससे आगेकी श्रेणोमे स्थूलता बिलकुल नही रह जाती और इसलिए वे हमारी इन्द्रियोके विषय भी नही बन सकते। वे हर पदार्थमे-से आर-पार भी हो जाते है। ऐसे पदार्थ 'सूक्ष्म' कहलाते हैं। आजके भौतिक विज्ञान द्वारा खोजनेपर चुम्बककी किरणे तथा रेडियोकी तरगें इस श्रेणीमे ग्रहण की जा सकती है, क्योकि ये हर पदार्थमे-से आर-पार होनेकी शक्ति रखती है, और इन्द्रियो द्वारा किसी प्रकार भी इनका ग्रहण नही किया जा सकता। परन्तु मागमके द्वारा खोजनेपर कर्माण वर्गणाएं इस कोटिमे आती है। कार्माण वर्गणा एक प्रकारका सूक्ष्म पुद्गल स्कन्द है, जो इन्द्रियो द्वारा प्रत्यक्ष नही किया जा सकता, और जिससे जीवोके प्रारब्ध कर्मोका तथा अन्तःकरणका अर्थात् अन्तरग सूक्ष्म शरीरका निर्माण हुआ करता है । इससे आगे द्वयणुक श्यणुक आदि स्कन्ध 'सूक्ष्म सूक्ष्म' पुद्गल है जिनसे सूक्ष्म अन्य कोई पुद्गल-स्कन्ध सम्भव नही है । _इसी प्रकार अन्य पदार्थोकी स्थूलता तथा सूक्ष्मतामे आगे भी तारतम्य जाना जा सकता है। जैसे आकाश नामक अमूर्तिक पदार्थ परमाणुसे अधिक सूक्ष्म है और अन्त करण आकाशसे भी अधिक सक्ष्म है, जो सबमे प्रवेश पानेकी शक्ति रखता है। अन्त करणमे भी मन स्थूल है क्योकि उसके सकल्प-विकल्प साक्षात् प्रतीतिमे आते हैं, अहकार उससे सूक्ष्म है, चित्त उससे सूक्ष्म है और बुद्धि सबसे सूक्ष्म है। इससे भी आगे अन्त.करणसे युक्त चित्प्रकाश अधिक सूक्ष्म है, जो अनुमानमे नही आ सकता, केवल अनुभवगम्य है। स्थूलता तथा सूक्ष्मता के इस रहस्यको जानकर हमे यह पता लग जाना चाहिए कि लोकमे सभी पदार्थ इन्द्रियो द्वारा नही देखे जा सकते, न हो माइक्रोस्कोप द्वारा देखे जा सकते