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दृष्टान्त द्वाग सममाना। वर पदार्थ जो बिना दमन को ममा सकता है, न किमी दमरंग में आगरा गरा,नगम अपनी स्थिति तथा पाकर बदल गाना, महागा दिया गये वहां ही ज्योका त्यो पटा रहता है, वरन्न ' पुरम, मग है। इस प्रकार पृथिवी मर्यात् गी छोटी या बी टोग यन्त इस श्रेणीमें आ जाती हैं। वे पदार्थ जो गर्म नोनी गिनी पदार्थमे समा सके और किसी पदार्थग में आर-पार हो गये, स्यवं अपनी स्थिति तथा कल भी बदल गया, जहां उन रमा गये वहाँ हो ज्योके त्यो पडे न रह ग, जिन्हें टिकाने दिए बहन कुछ साधनोको सहायता लेनी पडे, नथा जिन्हे नाउनेपर वे पुन' स्वय मिल जायें, वे सब 'स्थूल' पृद्गल स्कन्ध है। इस प्रकार जल व वायु तत्त्व इस श्रेणीमे मा जाते है, क्योकि ये कुछ वस्तुयोमे से आर-पार हो सकते हैं और इन्हे रखनेके लिए किन्ही बरतन या ट्यूब आदिकी आवश्यकता होती है। वह पदार्थ जो कुछ अन्य पदार्थोमे-से आर-पार हो सके, तथा जिसे किसी प्रकार भी पकडकर रखा न जा सके, वह स्थूलसूक्ष्म पदार्थ है, जैसे प्रकाश, क्योकि यह शीशेमे-से आर-पार हो जाता है। स्पर्शनेन्द्रियका जो विषय गर्मी-सरदी, रसनेन्द्रियका जो विषय स्वाद, घ्राणेन्द्रियका जो विषय गन्ध और करणेन्द्रियका जो विषय शब्द, ये चारो प्रकारके पदार्थ 'सूक्ष्मस्थूल' है, क्योकि वन्द कमरेमे भी प्रवेश पा जाते है। बन्द कमरेमे बैठे हुए भी आपको वाहरकी गरमी-सरदी महसूस होती है, वाहरसे मि!की धसक आ जाती है, वाहरकी गन्ध भीतर घुस आती है और बाहरका शब्द भीतर सुना जाता , है, भले ही कुछ कम हो जाये । इनके अतिरिक्त तारोमे-से आर-पार दौडनेवाली विद्युत शक्तिको भी इसी श्रेणीमे समझ लें।
यहाँ तकके सर्व पदार्थ तथा विषय तो हम सबको प्रत्यक्ष है