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पुद्गल-पदार्थ
१ पुद्गर-नामान्य, २ पुद्गल पदार्यको विचियता, ३ मव जीवके गरीर है, ४ पच भूत तथा उनो कार्य, ५ मूल पदार्य परमाणु ६ परमाणुका लक्षण, ७ परमाणु मूर्तिक है, ८ परमाणु-बादका ममन्त्रय, ९ परमाणु बन्य-क्रम, १० स्थूल तथा सूक्ष्म पुद्गल, ११ पुद्गलये गुण तया धर्म, १२ पुद्गलके धर्मोका समन्वय, १३ आजके विज्ञानके चमत्कार, १४ पुद्ग का स्वभाव-चतुष्टय, १५ पुद्गल द्रव्य को जाननेका प्रयोजन ।
१ पुद्गल-सामान्य
'पुद्गल' यह आपके लिए नया-सा शब्द है। जैनागममे ही इस शब्द का प्रयोग किया गया है । यद्यपि सभी दर्शनकार तथा भौतिक विज्ञान इस पदार्थको स्वीकार करते हैं, परन्तु इसके लिए पुद्गल नाम देना जैन-दर्शनकारोको सूक्ष्म बुद्धिका परिचायक है। अन्य दर्शनकार इसे भूत तथा अगरेजीमे इसे मैटर ( Matter , कहते हैं। ये सभी दृष्ट मूर्तिक पदार्थ भूत या मैटर कहलाते हैं। इसी कारण इस दृष्ट जगत्को भौतिक जगत् तथा इस सम्बन्धी विज्ञानको भौतिक विज्ञान या Material Science कहते हैं। इसी मूर्तिक दृष्ट पदार्थको जैनागममे 'पद्गल' कहा गया है ।
पुद्गल शब्द अपना एक विशेष अर्थ रखता है। पुद् +गल इन दो शब्दोके मिलनेसे पुद्गल शब्द बनता है । पुद्का अर्थ है पूर्ण होना