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पदार्थ विज्ञान ____साधारणतः पाँचो इन्द्रियोमे आँख तथा कान ये दो इन्द्रियाँ रूप व शब्दको जान सकती हैं पर अनुभव नहीं कर सकती, क्योकि ये दोनो विषय सदा दूर ही रहते हैं, कभी भी इन्द्रियोको स्पर्श नहीं करते। परन्तु स्पर्शन, जिह्वा तथा नाक ये तीन इन्द्रियाँ जाननेके साथ-साथ अनुभव भी करती है, क्योकि इनके विपयोका ज्ञान उस समय तक नहीं होता जब तक कि वे इन इन्द्रियोको स्पर्श न कर जायें। जैसे कि भोजन दूर रहकर आँखसे देखा जा सकता है, परन्तु चखा नही जा सकता जब तक कि जिह्वापर रख न लिया जाये। देखनेसे स्वाद या आनन्द नही आता, पर खाने या चखनेसे यदि मीठा हो तो आनन्द आता है और यदि कडवा हो तो कष्ट होता है। इसी प्रकार सुगन्धिके नाकमे आनेपर उसको जाननेके साथ-साथ कुछ मज़ा भी आता है । इसी प्रकार सदियोमे गर्म स्पर्श और गर्मियोमे शीत स्पर्शको जाननेके साथ-साथ आनन्द आता है तथा इससे उलटा होनेपर ठण्डा-गर्म जाननेके साथ-साथ कष्ट होता है।
जानना जबतक केवल जानना हो तब तक वह ज्ञान कहलाता है जैसे कि पदार्थको दूरसे देखकर जानना, परन्तु जब जाननेके साथसाथ दु.ख-सुखका वेदन भी हो तो उसे अनुभव कहते हैं, जैसे गर्म व ठण्डे स्पर्शको जानना । यद्यपि दोनो ही ज्ञान हैं, परन्तु दोनोमे कुछ अन्तर है । ऊपर जो तीन इन्द्रियो द्वारा अनुभव करना दर्शाया गया है सो वहुत स्थूल वात है। वास्तवमे अनुभव करना इन्द्रियोका नही बल्कि मनका काम है, इसलिए वह शरीरका नहीं जीवका गुण है । सो कैसे वही बताता हूँ।
जवतक मन इन्द्रियके साथ नही होता तबतक आपको सुख या दुख नही हो सकता। क्योकि मन जब अपने विषयके साथ तन्मय हो जाता है, उसीमे तल्लीन हो जाता है, तब दु.ख-सुख, हर्ष