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पदार्थ विज्ञान
९. दोसे चार इन्द्रिय तकके जीवोको विकलेन्द्रिय अर्थात् हीन इन्द्रियवाले कहते है और पञ्चेन्द्रिय को सकलेन्द्रिय अर्थात् पूरी इन्द्रियवाले।
१० स्थावर पांच होते है-पृथिवी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पति ।
११. गतियोकी अपेक्षा जीवोंके चार भेद हैं-नरक, तियंच, मनुष्य और देव । मनुष्योको छोडकर एकसे पांच इन्द्रिय तकके सभी दृष्ट जीव 'तिर्यंच' कहलाते है । नारकी, मनुष्य तथा देव सज्ञी पचेन्द्रिय ही होते है।
१२. पांचो प्रकारके स्थावरोका शरीर पृथक्-पृथक् जातिका है और सभी त्रसोका शरीर एक मास जातिका है। इसलएि जीवोके छह काय हैं-पांच स्थावर और एक त्रस ।
१३. त्रस तिथंच तीन प्रकारके हैं-जलचर, थलचर और नभचर ।
१४. जीव स्थूल भी होते हैं और सूक्ष्म भी। कुछ सूक्ष्म जीव माइक्रोस्कोपसे देखे जा सकते हैं। इन्हे विज्ञान 'बैक्टेरिया' कहता है। ये प्रत्येक पदार्थमे तथा प्रत्येक स्थानमे ठसाठस भरे पड़े है, अथवा उनमे उत्पन्न होते रहते हैं।
१५ जीवके ये सभी भेद भी अनेको रूप व प्रकृतिके होनेके कारण जीवोके कुल भेद चौरासी लाख हो जाते है । इन्हे ही जीवकी चौरासी लाख योनियां कहा गया है।
१६. जीवोकी उत्पत्ति तीन प्रकारसे होती है-सम्मूर्छिम, गर्भज तथा उपपादज। बिना माताके गर्भाशयके स्वय बाहरमे उत्पन्न हो जानेवाले जीव सम्मूर्छिम हैं। माता-पिताके संयोगसे