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पदार्थ विज्ञान
स्वाद बदल जाना उसमे वैक्टेरियाकी वृद्धिको सूचना देता है । मोल्डका काम रंग पैदा करना अथवा पदार्थोंपर काई या फूई पैदा करना है । पीतल के बरतनोमें शाक-भाजी आदि रखनेपर उनमे जो नीला रंग उत्पन्न हो जाता है अथवा दूध तथा घो आदिके वरतनोपर भी जो कभी-कभी नीला या ब्राउन रंग देखनेमे आता है, वह मोल्डकी वृद्धिका सूचक है | इसी प्रकार पापड़, अचार या वासी शाक-भाजी पर प्रायः जो सफ़ेद या ब्राउन अथवा काले-नीले रगकी फूई लग जाया करती है वह सब उन पदार्थोंमे 'मोल्डकी' वृद्धिको सूचना देती है । ईस्ट जीव त्रस होते हैं । इनका काम पदार्थ को सड़ाकर उसमे नशा उत्पन्न कर देना है । जिस पदार्थमे इस प्रकारके जीव उत्पन्न हो जाते हैं उसमे से स्वतः बुदबुदे उठने लगते हैं और घुड़पघुपडुका शब्द होने लगता है । ऐसे पदार्थोंमे मादक शक्ति उत्पन्न हो जाया करती है, जो वृद्धि पाकर मनुष्योको पागल कर देती है । गरमीके दिनोमे सन्तरे या अन्य रसीले फलोमे अथवा दहीमे जो बुदबुदे से उत्पन्न हुए देखे जाते हैं वे सव इसी प्रकारके जीवोका प्रताप है । पदार्थोंको सड़ाकर जो शराब या ताड़ी आदि बनायी जाती है, जिसके पानीसे मनुष्यको नशा हो जाता है, वह सब इसीकी कृपा है ।
यद्यपि थोड़ी मात्रामे तो ये जीव जल, दूध तथा फल आदि प्रत्येक पदार्थमे स्वाभाविक रूपसे रहते हैं, परन्तु उपर्युक्त प्रकारसे पदार्थ के वास हो जानेपर, सड़ जानेपर, या रग गन्ध व स्वाद आादि वदल जाने पर, यह समझ लेना चाहिए कि उन जीवोकी मात्रा इतनी बढ़ गयी है कि एक बूँद या सुईके अग्रभाग मात्र पदार्थमे वे यसस्योकी गणनामे विद्यमान है । इसीलिए ऐसी अवस्थामे वे पदार्थ स्वास्थ्यके लिये बहुत हानिकारक हो जाते हैं। डॉक्टर तथा जैनसिद्धान्त दोनो ही जो ऐसे पदार्थों के प्रयोगका निषेध करते हैं, उसका यही कारण है ।